रविवार, 9 मई 2010

एक अलग एहसास

'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर आज प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटता विनोद कुमार पांडेय का एक प्रेम-गीत. आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा...

नित पुष्प खिला कर,खुशियों के,
मन बगिया महकाया तुमने,
आँखों के आँसू लूट लिये,
हँसना सिखलाया तुमने,
सूना,वीरान,अधूरा था,
तुमसे मिलकर परिपूर्ण हुआ,
दिल के आँगन में तुम आई,
जीवन मेरा संपूर्ण हुआ,

किस मन से तुझको विदा करूँ,
तुम ही खुद मुझको बतलाओ,
मैं कैसे कह दूँ तुम जाओ.

मैं एक अकेला राही था,
संघर्ष निहित जीवन पथ पर,
तुम जब से हाथ बढ़ायी हो,
यह धरती भी लगती अम्बर,
व्याकुल नयनों की आस हो तुम,
मेरी पूजा तुम,विश्वास हो तुम,
हर सुबह तुम्ही से रौशन है,
हर एक पल की एहसास हो तुम,

एहसासों का मत दमन करो,
विश्वासों को मत दफ़नाओं,
मैं कैसे कह दूँ, तुम जाओ,

सब बंद घरों में क़ैद पड़े,
मैं किससे व्यथा सुनाऊँगा,
सुख में तो देखो भीड़ पड़ी,
दुख किससे कहने जाऊँगा,
बरसों तक साथ निभाया है,
अब ऐसे मुझको मत छोड़ो,
हम संग विदा लेंगे जग से,
अपने वादों को मत तोडो,

मत बूझो मेरे मन को यूँ,
मत ऐसे कह कर तड़पाओ,
मैं कैसे कह दूँ, तुम जाओ.
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नाम: विनोद कुमार पांडेय
जन्म स्थान: वाराणसी( उत्तर प्रदेश)
कार्यस्थल: नोएडा( उत्तर प्रदेश)
प्रारंभिक शिक्षादीक्षा वाराणसी से संपन्न करने के पश्चात नोएडा के एक इंजीनियरिंग कॉलेज से एम.सी.ए. करने के बाद नोएडा में ही पिछले 2 साल से एक सॉफ़्टवेयर कंपनी मे इंजीनियर के पद पर कार्य कर रहा हूँ..खुद को गैर पेशेवर कह सकता हूँ, परंतु ऐसा लगता है की शायद साहित्य की जननी काशी की धरती पर पला बढ़ा होने के नाते साहित्य और हिन्दी से एक भावनात्मक रिश्ता जुड़ा हुआ प्रतीत होता है.लिखने और पढ़ने में सक्रियता २ साल से,पिछले 1 वर्ष से ब्लॉग पर सक्रिय,हास्य कविता और व्यंग में विशेष लेखन रूचि,अब तक 5० से ज़्यादा कविताओं और ग़ज़लों की रचनाएँ,व्यंगकार के रूप में भी किस्मत आजमाया और सफलता भी मिली,कई व्यंग दिल्ली के समाचार पत्रों में प्रकाशित भी हुए और काफ़ी पसंद किए गये एवं नोएडा और आसपास के क्षेत्रों के कई कवि सम्मेलनों में काव्य पाठ,फिर भी इसे अभी लेखनी की शुरुआत कहता हूँ और उम्मीद करता हूँ की भविष्य में हिन्दी और साहित्य के लिए हमेशा समर्पित रहूँगा.लोगों का मनोरंजन करना और साथ ही साथ अपनी रचनाओं के द्वारा कुछ अच्छे सार्थक बातों का प्रवाह करना भी मेरा एक खास उद्देश्य होता है.अंतर्जाल पर मुस्कुराते पल-कुछ सच कुछ सपने के माध्यम से सक्रिय. ई-मेल- voice.vinod@gmail.com

13 टिप्‍पणियां:

  1. खुबसूरत गीत..विनोद जी को बधाई.

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  2. आज मदर्स डे है..मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ !!

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  3. अंतर्मन की सुन्दर अभिव्यक्ति...पाण्डेय जी को मुबारकवाद.

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  4. सूना,वीरान,अधूरा था,
    तुमसे मिलकर परिपूर्ण हुआ,
    दिल के आँगन में तुम आई,
    जीवन मेरा संपूर्ण हुआ,

    प्रेम की सघन अनुभूति..मन को भा गई.

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  5. आप सभी को मातृ-दिवस की बहुत-बहुत बधाई!
    ममतामयी माँ को प्रणाम!!

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  6. मनभावन गीत...इसका प्रिंट आउट लेकर रख लिया है.

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  7. आप सभी को प्रेम गीत पसंद आई,सब लोगों का बहुत बहुत आभार..साथ ही साथ अभिलाषा जी का भी बहुत धन्यवाद जिनके इस प्रयास से हिन्दी के साथ साथ काव्य-साहित्य के इस महत्वपूर्ण विधा का प्रचार एवं प्रसार हो रहा....शुभकामनाएँ

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  8. aadrniy aek kubsurt ehsaas he psnd aayaa iske liyen bdhaaai. akhtar khan akela kota rajasthan my blog akhtarkhanakela.blogspot.com

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