शुक्रवार, 18 जून 2010

ओ मेरे मनमीत!

'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर आज प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटता रावेन्द्र कुमार रवि जी का एक प्रेम-गीत 'ओ मेरे मनमीत'. आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा...

सोच रहा-
तुम पर ही रच दूँ
मैं कोई नवगीत!

शब्द-शब्द में
यौवन भर दूँ,
पंक्ति-पंक्ति में प्रीत!
हर पद में
मुस्कान तुम्हारी
ज्यों मिश्री-नवनीत!
सोच रहा-

मैं ही मात्र
सुन सकूँ उसका
मधुर-मधुर संगीत!
जिसके हर सुर में
तुम ही हो
ओ मेरे मनमीत!
सोच रहा-

जो भी राग
सजा हो उसमें,
हो उसमें नवरीत!
जिसके गुंजन में
गुंजित हो
हर पल मन की जीत!
सोच रहा-



(रावेन्द्र कुमार रवि जी के जीवन-परिचय के लिए क्लिक करें)

23 टिप्‍पणियां:

  1. गूँज रहा है हर शब्दों में
    रवि के मन की प्रीत

    सुन्दर भाव

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  2. ओ मेरे मनमीत...खूबसूरत भावाभिव्यक्ति..बधाई !!

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  3. सुन्दर गीत लिखा रवि अंकल ने..बधाई.

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  4. sochna kya hai......navgeet gadhh chuka hai......aapke pyar ka!!jiske har shabd se pyar jhalak raha hai.......:)

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  5. बेनामीजून 18, 2010 4:11 pm

    मैं ही मात्र
    सुन सकूँ उसका
    मधुर-मधुर संगीत!
    जिसके हर सुर में
    तुम ही हो
    ओ मेरे मनमीत!

    ....मनभावन गीत..बधाई !!

    जवाब देंहटाएं
  6. आपने इस कविता में अपने-आपको बहुत अच्छी तरह से बखूबी ढ़ाला है, और ऐसा लग रहा है कि आप बोल रहें हो या नहीं, आपकी कविता ज़रूर बोल रही है।

    जवाब देंहटाएं
  7. आपने इस कविता में अपने-आपको बहुत अच्छी तरह से बखूबी ढ़ाला है, और ऐसा लग रहा है कि आप बोल रहें हो या नहीं, आपकी कविता ज़रूर बोल रही है।

    जवाब देंहटाएं
  8. जिसके गुंजन में
    गुंजित हो
    हर पल मन की जीत!
    सुन्दर गीत ..

    जवाब देंहटाएं
  9. मधुर प्रेम की अभिव्यक्ति बहुत ही मनभावन है .... अच्छी रचना है ...

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  10. रवि जी की एक और उत्तम प्रस्तुति...बधाई.

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  11. आकांक्षा जी /अभिलाषा जी, 'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग की नई डिजाईन तो काफी मनभावन लगी..बधाई.

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  12. जो भी राग
    सजा हो उसमें,
    हो उसमें नवरीत!
    जिसके गुंजन में
    गुंजित हो
    हर पल मन की जीत!

    बेहतरीन अभिव्यक्ति..बधाई !

    जवाब देंहटाएं

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