सोच रहा-
तुम पर ही रच दूँ
मैं कोई नवगीत!
शब्द-शब्द में
यौवन भर दूँ,
पंक्ति-पंक्ति में प्रीत!
हर पद में
मुस्कान तुम्हारी
ज्यों मिश्री-नवनीत!
सोच रहा-
मैं ही मात्र
सुन सकूँ उसका
मधुर-मधुर संगीत!
जिसके हर सुर में
तुम ही हो
ओ मेरे मनमीत!
सोच रहा-
जो भी राग
सजा हो उसमें,
हो उसमें नवरीत!
जिसके गुंजन में
गुंजित हो
हर पल मन की जीत!
सोच रहा-

(रावेन्द्र कुमार रवि जी के जीवन-परिचय के लिए क्लिक करें)
गूँज रहा है हर शब्दों में
जवाब देंहटाएंरवि के मन की प्रीत
सुन्दर भाव
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
बहुत सुन्दर गीत।बधाई
जवाब देंहटाएंwaah bahut badhiya geet
जवाब देंहटाएंशानदार!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गीत ..
जवाब देंहटाएंओ मेरे मनमीत...खूबसूरत भावाभिव्यक्ति..बधाई !!
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत लिखा रवि अंकल ने..बधाई.
जवाब देंहटाएंsochna kya hai......navgeet gadhh chuka hai......aapke pyar ka!!jiske har shabd se pyar jhalak raha hai.......:)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गीत.
जवाब देंहटाएंमैं ही मात्र
जवाब देंहटाएंसुन सकूँ उसका
मधुर-मधुर संगीत!
जिसके हर सुर में
तुम ही हो
ओ मेरे मनमीत!
....मनभावन गीत..बधाई !!
आपने इस कविता में अपने-आपको बहुत अच्छी तरह से बखूबी ढ़ाला है, और ऐसा लग रहा है कि आप बोल रहें हो या नहीं, आपकी कविता ज़रूर बोल रही है।
जवाब देंहटाएंआपने इस कविता में अपने-आपको बहुत अच्छी तरह से बखूबी ढ़ाला है, और ऐसा लग रहा है कि आप बोल रहें हो या नहीं, आपकी कविता ज़रूर बोल रही है।
जवाब देंहटाएंमनभावन गीत। बधाई।
जवाब देंहटाएंजिसके गुंजन में
जवाब देंहटाएंगुंजित हो
हर पल मन की जीत!
सुन्दर गीत ..
सुंदर गीत के लिए बधाई.
जवाब देंहटाएंमधुर प्रेम की अभिव्यक्ति बहुत ही मनभावन है .... अच्छी रचना है ...
जवाब देंहटाएंरवि जी की एक और उत्तम प्रस्तुति...बधाई.
जवाब देंहटाएंआकांक्षा जी /अभिलाषा जी, 'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग की नई डिजाईन तो काफी मनभावन लगी..बधाई.
जवाब देंहटाएंजो भी राग
जवाब देंहटाएंसजा हो उसमें,
हो उसमें नवरीत!
जिसके गुंजन में
गुंजित हो
हर पल मन की जीत!
बेहतरीन अभिव्यक्ति..बधाई !
behad sunder
जवाब देंहटाएंबेहद सुन्दर रचना .... बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया!!
जवाब देंहटाएंatyant manmohak prastuti
जवाब देंहटाएंresume