सोमवार, 12 जुलाई 2010

ग़ज़ल

'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर आज प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटती नीलम पुरी जी की एक ग़ज़ल. आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा...

मै आज भी तनहा हू,
यकीन नही आता तो यकीन दिलाइये मुझे,

अब फ़िर से आये हो तो ,
एक बार फ़िर से जाकर बताइये मुझे,

अजब गम ज़दा हू मै, आज तक सहला रही हू जख्मो को
इक और नया जख्म दे जाइये मुझे,

मै बहा रही हू आज भी कतरा कतरा आसू,
हो सके इस बारिश से बचाइये मुझे,

बहुत दिनो से मै रास्ते का बेकार सा पत्थर हू,
अब तो मील का पत्थेर बनाइये मुझे,

मै चाहती हू अब तुम सोने कि मुझे दे दो इज़ाज़त ,
इस चिता से अब ना जगाइये मुझे ,

तुम बसे हो राज़ कि तरह आज भी मेरे दिल मे,
आप भी 'नीलम' सा अब ना दुनिया से छुपाइये मुझे.
***********************************************************************************
नाम : नीलम पुरी / व्यवसाय: गृहिणी / शिक्षा-स्नातक/मैं "नीलम पुरी" बहुत ही साधारण से परिवार से जुडी अति-साधारण सी महिला हूँ. अपने पति और दो बच्चों की दुनिया में बेहद खुश हूँ. घर सँभालने के साथ अपने उद्वेगों को शांत करने के लिए कागज पर कलम घसीटती रहती हूँ और कभी सोचा न था कि मेरा लिखा कभी प्रकाशित भी होगा. खैर, कुछ दोस्तों की हौसलाअफजाई के चलते आज यहाँ हूँ. अंतर्जाल पर Ahsaas के माध्यम से सक्रियता.

15 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छा लगा नीलम जी की रचना पढ़कर. आभार आपका.

    जवाब देंहटाएं
  2. नीलम पुरी जी की कविता पढ़ कर अच्छा लगा ।
    घर संभालने के साथ आप अपने उद्वेगों को शांत करने के लिए लिखती रहती हैं , स्वागत है !
    …और भी श्रेष्ठ सृजन के लिए शुभकामनाएं हैं ।

    'सप्तरंगी प्रेम' पर एक दो बार पहले भी आया था । आपके प्रयास स्तुत्य हैं … अभिलाषा और आकांक्षा जी बहुत बहुत बधाई की हक़दार हैं ।

    समय मिलने पर शस्वरं पर भी पधारिएगा …

    - राजेन्द्र स्वर्णकार
    शस्वरं

    जवाब देंहटाएं
  3. अब तो मील का पत्थर बनाईये मुझे ...
    सुन्दर...
    नीलम जी से परिचय के लिए आभार ...!

    जवाब देंहटाएं
  4. अब फ़िर से आये हो तो ,
    एक बार फ़िर से जाकर बताइये मुझे,

    यह पढ़ कर कुछ पहले का पढ़ा याद आ गया...
    आप शफक में हैं ना? मुझे ऐसा ही लगा....

    बहुत खूबसूरत गज़ल

    जवाब देंहटाएं
  5. khoobsurat panktiya... bas ghazal ki matrayen sikh zayen nilam ji to sone me suhaga...
    char chand lag zayen...

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत दिनो से मै रास्ते का बेकार सा पत्थर हू,
    अब तो मील का पत्थेर बनाइये मुझे,

    ......मन को छूती है ये पंक्तियाँ..नीलम जी को इस शानदार प्रस्तुति पर बधाइयाँ.

    जवाब देंहटाएं
  7. खैर, कुछ दोस्तों की हौसलाअफजाई के चलते आज यहाँ हूँ. अंतर्जाल पर Ahsaas के माध्यम से सक्रियता....आपके खूबसूरत अहसास यहाँ पढ़कर मन प्रफुल्लित हो गया..शुभकामनायें.

    जवाब देंहटाएं
  8. वाह.....बहुत ही बढ़िया लिखी है नीलिमा जी.....

    नीलिमा जी आप बहुत ही अच्छा लिखते हो...
    क्युकी आप जो भी लिखते हो दिल से लिखते हो.....

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतरीन लिखा आपने...
    _________________________
    अब ''बाल-दुनिया'' पर भी बच्चों की बातें, बच्चों के बनाये चित्र और रचनाएँ, उनके ब्लॉगों की बातें , बाल-मन को सहेजती बड़ों की रचनाएँ और भी बहुत कुछ....आपकी भी रचनाओं का स्वागत है.

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत बहुत बधाई नीलमजी..तन्हाई की इन्तहा शायद यही होती है..''मै आज भी तनहा हू,
    यकीन नही आता तो यकीन दिलाइये मुझे'',बहुत खूब

    जवाब देंहटाएं
  11. आपने तो बहुत अच्छा लिखा....

    जवाब देंहटाएं
  12. तुम बसे हो राज़ कि तरह आज भी मेरे दिल मे,
    आप भी 'नीलम' सा अब ना दुनिया से छुपाइये मुझे.

    aapka Raj ek raaj hi hai sayad na......:)

    waise aapki prem se aot prot abhivyakti .....ye kahne ko majboor karti hai ki aap ke kalam me bahut takat hai.....:)

    God bless you neelima jee!

    जवाब देंहटाएं
  13. नीलमजी की गजल बहुत ही अच्छी लगी। भावाभिव्यक्ति इतनी अच्छी है कि ऐसा लगता है जैसे यह गजल सीधे उनके दिल से निकली हो।

    जवाब देंहटाएं
  14. well neelam ji bahut achha likha dil ki bhavnao ko kagaz par itne madhur shabdo me har ik nahi bayan kar sakta hai pyar hi sab kuchh hai jiwan me agar kohi achhi tarah samaz sake to bhaki sab bemani hai .

    जवाब देंहटाएं

'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर हम प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटे रचनाओं को प्रस्तुत करते हैं. जो रचनाकार इसमें भागीदारी चाहते हैं, वे अपनी 2 मौलिक रचनाएँ, जीवन वृत्त, फोटोग्राफ kk_akanksha@yahoo.com पर भेज सकते हैं. रचनाएँ व जीवन वृत्त यूनिकोड फॉण्ट में ही हों.
आपकी प्रतिक्रियाएं हमें सदैव प्रोत्साहन व संबल देती हैं...