सोमवार, 17 जनवरी 2011

सिलवटें : वन्दना गुप्ता

बिस्तर की सिलवटें तो मिट जाती हैं
कोई तो बताये
दिल पर पड़ी सिलवटों को
कोई कैसे मिटाए
उम्र बीत गई
रोज सिलवटें मिटाती हूँ
मगर हर रोज
फिर कोई न कोई
दर्द करवट लेता है
फिर कोई ज़ख्म
हरा हो जाता है
और फिर एक नई
सिलवट पड़ जाती है
हर सिलवट के साथ
यादें गहरा जाती हैं
और हर याद के साथ
एक सिलवट पड़ जाती है
फिर दिल पर पड़ी सिलवट
कोई कैसे मिटाए
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नाम : वंदना गुप्ता / व्यवसाय: गृहिणी / निवास : नई दिल्ली / मैं एक गृहणी हूँ। मुझे पढ़ने-लिखने का शौक है तथा झूठ से मुझे सख्त नफरत है। मैं जो भी महसूस करती हूँ, निर्भयता से उसे लिखती हूँ। अपनी प्रशंसा करना मुझे आता नही इसलिए मुझे अपने बारे में सभी मित्रों की टिप्पणियों पर कोई एतराज भी नही होता है। मेरा ब्लॉग पढ़कर आप नि:संकोच मेरी त्रुटियों को अवश्य बताएँ। मैं विश्वास दिलाती हूँ कि हरेक ब्लॉगर मित्र के अच्छे स्रजन की अवश्य सराहना करूँगी। ज़ाल-जगतरूपी महासागर की मैं तो मात्र एक अकिंचन बून्द हूँ। अंतर्जाल पर जिंदगी एक खामोश सफ़र के माध्यम से सक्रियता.

14 टिप्‍पणियां:

  1. bhn ji aek sch to yeh he ke aapki rchna kevl yhi rchna nhin sbhi rchnaayen mujhe aek nyi soch nyi disha deti hen jisse men knjus hokr bhi aapki prshnsa kiye bger nhin rh sktaa dusraa sch yeh he ke aap ko mujh se nfrt krna pdhegi kyonki aapko jhunth se nfrt he or mene kbhi to jhunt bolaa hi hogaa aese men jb men vkil hun to fir to meraa jhuntha hona zruri bhi he lekin bhn ji aapko chahe jhunth se nfrt ho lekin hm bhut bhut km jhunte hen zyzzdatr schchayi hmare zhn men he vese bhi aapse agr nfrt ka bhi rishta ho to hm dhny ho jayenge bhn ji aek baat or he aapki rchnayen jivnt or vyvharik shikshaprd hen inhen bs pdhte rhen ko ji chaahta he . akhtark khan akela kota rajsthan

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  2. शुक्रिया आकांक्षा जी …………मेरी रचना को जगह देने के लिये।

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  3. @अख्तर खान जी
    झूठ का मतलब उस बात से नही है वो तो आपका पेशा है और मै जानती हूँ वहाँ क्या क्या चलता है…………जहाँ तक मेरा सवाल है मै अपने दोस्तो और भाई बहनो से हमेशा प्यार का रिश्ता ही रखती हूँ इसलिये आप बेफ़िक्र हो जाइये।

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  4. वंदना आंटी तो बहुत अच्छा लिखती हैं...बधाई.

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  5. Dard rahit jeevan sapat hota hai

    Dard dil ki salwaton ka
    kapat hota hai
    Jismese hi ek apekshit sukh ka ahsas hota hai
    Yah sukhad ahasas hi jeevan ka saar hota hai
    Saty to VANDANAJEE yah hai ki
    aise jakhm khakar hi jism
    Faulad hota hai

    Apki samsyaon ka samadhan mere blog ' NADI DUB GAYI ' par milega
    Dr. Nirmesh Gupta

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  6. बहुत मुश्किल है ये सिलवटें मिटाना.
    बहुत सुन्दर रचना.

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  7. एक मजाक कर रही हूँ कि दिल ना हुआ, शेयर मार्केट हो गया। रोज ऊपर नीचे होता रहता है!

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  8. बिस्तर की सिलवटें तो मिट जाती हैं
    कोई तो बताये
    दिल पर पड़ी सिलवटों को
    कोई कैसे मिटाए

    ...कविता के बहाने बड़ा गंभीर सवाल...सहज भावाभिव्यक्ति.....बधाई.

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  9. @ Vandana Ji,

    इसमें शुक्रिया की कोई बात नहीं है. आप बस यूँ ही अच्छी-अच्छी रचनाएँ लिखती रहें और ब्लॉग-जगत लाभान्वित होता रहे आपकी रचनाधर्मिता से.

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  10. बहुत ही भावपूर्ण कविता.......बिल्कुल सच्चाई बयां करती हुई.

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  11. बहतरीन अभिव्यक्ति !

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  12. कविता के माध्यम से आज के दौर में बड़ी प्रासंगिक बात कही...साधुवाद.

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  13. सुन्दर भावो से सजी शब्द रचना मन को भा गयी .

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