सोमवार, 11 अप्रैल 2011

वफ़ा के गीत : यशवंत माथुर

तेरी आँखों के ये आँसूं,मेरे दिल को भिगोते हैं,

तुझे याद कर-कर हम भी,रात-रात भर रोते हैं,

बिन तेरे चैन कहाँ,बिन तेरे रैन कहाँ,

जाएँ तो जाएँ कहाँ,हर जगह तेरा निशाँ,

तेरे लब जब थिरकते हैं,बहुत हम भी मचलते हैं,

चाहते हैं कुछ कहना,मगर कहने से डरते हैं॥


कितने हैं शायर यहाँ,कितने हैं गायक यहाँ,

मेरा है वजूद वहां,जाए तू जाए जहाँ,

कैसी ये प्रीत मेरी,कैसी ये रीत तेरी,

अर्ज़ है क़ुबूल कर ले,आज मोहब्बत मेरी,

तेरे अनमोल ये मोती,जाने क्यों क्यूँ यूँ बिखरते हैं,

अधरों से पीले इनको, वफ़ा के गीत कहते हैं॥
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यशवंत माथुर, लखनऊ से. जीवन के 28 वें वर्ष में एक संघर्षरत युवक. व्यवहार से एक भावुक और सादगी पसंद इंसान.लिखना-पढना,संगीत सुनना,फोटोग्राफी,और घूमना-फिरना शौक हैं. पिताजी श्री विजय माथुर लेखन के क्षेत्र में प्रेरक एवं मार्गदर्शक हैं.अंतर्जाल पर जो मेरा मन कहे के माध्यम से सक्रियता.

17 टिप्‍पणियां:

  1. bahut sundar likhaa hai ....
    तेरी आँखों के ये आँसूं,मेरे दिल को भिगोते हैं,

    तुझे याद कर-कर हम भी,रात-रात भर रोते हैं,
    bvavivyakti ati sundar

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  2. यशवंत माथुर को पहली बार पढ़ा...अच्छी रचना..बधाई.

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  3. यशवंत माथुर को पहली बार पढ़ा...अच्छी रचना..बधाई.

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  4. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 12 - 04 - 2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  5. बहुत मर्मस्पर्शी रचना ! बहुत सुंदर !

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  6. कितने हैं शायर यहाँ,कितने हैं गायक यहाँ,
    मेरा है वजूद वहां,जाए तू जाए जहाँ,
    Gajab..

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  7. मुझे यहाँ जगह देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद आकंक्षा जी!

    सादर

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  8. नमस्कार .
    रचना अत्यंत मार्मिक है . गहन अनुभुतिओं से रची- पगी , आपको हार्दिक मंगलकामनाएं . साभार ,http://abhinavsrijan.blogspot.com/

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  9. तेरी आँखों के ये आँसूं,मेरे दिल को भिगोते हैं,

    बहुत अच्छी रचना....बधाई

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  10. ’तेरी आंख के ये आंसू ,मेरे दिल को भिगोते हैं ..’
    बेहतरीन अभिव्यक्ति ,शुभकामनायें !

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