शुक्रवार, 19 अक्टूबर 2012

छोड़ो न यों बीच में हाथ मेरा : श्रीलाल शुक्ल

'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर 'धरोहर' के अंतर्गत आज प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटता स्वर्गीय श्रीलाल शुक्ल जी का एक गीत. आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा...

छोड़ो न यों बीच में हाथ मेरा
आया नहीं है अभी तक सवेरा
प्यासे नयन ज्यों नयन में समा जाएँ
सारे निराधार आधार पा जाएँ
जाओ तभी जब हृदय-कम्प खो जाएँ
मेरे अधर पर तुम्हारा खिले हाथ
मेरा उदय खींच के ज्योति घेरा
छोड़ो न यों बीच में हाथ मेरा
आया नहीं है अभी तक सवेरा

- श्रीलाल शुक्ल


3 टिप्‍पणियां:

  1. छोड़ो न यों बीच में हाथ मेरा
    आया नहीं है अभी तक सवेरा
    Aprateem rachana!

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  2. बहुत ही सुन्दर, हाथों से हाथ बँधा रहे।

    जवाब देंहटाएं
  3. मेरे अधर पर तुम्हारा खिले हाथ

    मेरा उदय खींच के ज्योति घेरा

    छोड़ो न यों बीच में हाथ मेरा

    आया नहीं है अभी तक सवेरा

    ..Vakai Adbhut rachna..Shraddhey Shukla ji ko naman.

    जवाब देंहटाएं

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