'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर आज प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटती अरविंद भटनागर ' शेखर' की एक कविता. आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा...
चाँद झाँका
बादलों की ओट से ,
चाँदनी चुपके से आ
खिड़की के रस्ते,
बिछ गई बिस्तर पे मेरे
और
हवा का एक झोंका,
सोंधी सी खुश्बू लिए
छू कर गया गालों को मेरे
यूँ लगा मुझको कि
तुम सोई हो मेरे पास ,
मेरी बाहों के घेरे में
लेकर होठों पर
एक इंद्रधनुषी मुस्कुराहट
तृप्त |
- अरविंद भटनागर ' शेखर'
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