tag:blogger.com,1999:blog-2411351793335582248.post2637569398124573122..comments2023-06-18T15:06:40.843+05:30Comments on सप्तरंगी प्रेम: "क्या फिर ऋतुराज का आगमन हुआ है ?"Krishna Kumar Yadavhttp://www.blogger.com/profile/01842872238751294010noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-2411351793335582248.post-16594271612590289752010-08-27T06:26:55.514+05:302010-08-27T06:26:55.514+05:30बहुत सुंदर कविता ...!!
मन के ऋतुराज का आगमन करा गय...बहुत सुंदर कविता ...!!<br />मन के ऋतुराज का आगमन करा गयी ...!!!<br />शुभकामनाएं ..!!!!Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2411351793335582248.post-36154693502095873682010-08-17T16:17:29.313+05:302010-08-17T16:17:29.313+05:30आह ! ये कैसा
अनुबंध है प्रेम का
क्या फिर
ऋतुराज का...आह ! ये कैसा<br />अनुबंध है प्रेम का<br />क्या फिर<br />ऋतुराज का<br />आगमन हुआ है ?<br /><br />.....लगता तो कुछ ऐसा ही है. खूबसूरत रचना.Akanksha Yadavhttps://www.blogger.com/profile/10606407864354423112noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2411351793335582248.post-50746338870538564772010-08-15T23:57:52.781+05:302010-08-15T23:57:52.781+05:30बहुत ही प्यारी रचना है
पढ़ के मन में हिलोरें उठ ग...बहुत ही प्यारी रचना है <br />पढ़ के मन में हिलोरें उठ गए <br /> अपना पूरा प्यार ऋतुराज के आगमन के बहाने <br />कितनी सरलता से व्यक्त किया है <br />सभी अविस्मरनीय पलों को विम्वित किया है <br />पढ़ के सकूं मिलाAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/00869289113422824430noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2411351793335582248.post-25186640813852931862010-08-13T16:31:17.994+05:302010-08-13T16:31:17.994+05:30मन और प्रेम का ऋतू से जो सम्बन्ध है, वह अनन्त है. ...मन और प्रेम का ऋतू से जो सम्बन्ध है, वह अनन्त है. बरखा से , बसंत से सदियों से गुना जा रहा है. बहुत सुन्दर शब्दों में सजा कर प्रस्तुत किया है. बधाई.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2411351793335582248.post-2841814123984820772010-08-13T11:00:23.805+05:302010-08-13T11:00:23.805+05:30सोमरस -सा
प्राणों को
सिंचित करता
तुम्हारा ये नेह.....सोमरस -सा<br />प्राणों को<br />सिंचित करता<br />तुम्हारा ये नेह......<br /><br />itne pyare shabd!!<br />bahut pyari rachna!!मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2411351793335582248.post-23679000414094060522010-08-13T07:03:11.336+05:302010-08-13T07:03:11.336+05:30बहुत उम्दा रचना!!बहुत उम्दा रचना!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2411351793335582248.post-39372213450155195712010-08-12T21:00:19.755+05:302010-08-12T21:00:19.755+05:30बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति है!
--
वन्दना गुप्ता को ...बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति है!<br />--<br />वन्दना गुप्ता को बहुत-बहुत बधाई!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2411351793335582248.post-46832079531602838982010-08-12T17:44:12.914+05:302010-08-12T17:44:12.914+05:30vandanaji bahut bahut badhai sundar kavitavandanaji bahut bahut badhai sundar kavitaजयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2411351793335582248.post-54971170608532993192010-08-12T13:31:23.293+05:302010-08-12T13:31:23.293+05:30जी वंदना जी, आपने सही पहचाना ऋतुराज का आगमन हुआ है...जी वंदना जी, आपने सही पहचाना ऋतुराज का आगमन हुआ है। असल में तो वह हमारे अंदर ही रहता है न। अब यह आप पर है कि आप उसे कब कब निहारती हैं,पुकारती हैं। <br />बहरहाल सघन अनुभूति की इस रचना में एक लाइन पंक्ति खटकती है। यह है<br /> -ज्यों प्रोढ़ता की दहलीज पर <br />इस कविता में इस पंक्ति का कोई औचित्य ही नहीं है।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2411351793335582248.post-5143631547553235562010-08-12T13:27:19.984+05:302010-08-12T13:27:19.984+05:30आकांक्षा जी,
मेरी कविता को अपने ब्लोग पर आपने स्था...आकांक्षा जी,<br />मेरी कविता को अपने ब्लोग पर आपने स्थान दिया उसके लिये आपकी शुक्रगुजार हूँ।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2411351793335582248.post-78717685963413871442010-08-12T11:54:21.565+05:302010-08-12T11:54:21.565+05:30बस जी प्रेम का ही अनुबंध है जो बसंत बन कर छा गया ह...बस जी प्रेम का ही अनुबंध है जो बसंत बन कर छा गया हैसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.com