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बुधवार, 23 मार्च 2016

रंग रंग राधा हुई, कान्हा हुए गुलाल


रंग रंग राधा हुई, कान्हा हुए गुलाल
वृंदावन होली हुआ सखियाँ रचें धमाल
होली राधा श्याम की और न होली कोय
जो मन रांचे श्याम रंग, रंग चढ़े ना कोय
नंदग्राम की भीड़ में गुमे नंद के लाल
सारी माया एक है क्या मोहन क्या ग्वाल
आसमान टेसू हुआ धरती सब पुखराज
मन सारा केसर हुआ तन सारा ऋतुराज
बार बार का टोंकना बार बार मनुहार
धूम धुलेंडी गाँव भर आँगन भर त्योहार
फागुन बैठा देहरी कोठे चढ़ा गुलाल
होली टप्पा दादरा चैती सब चौपाल
सरसों पीली चूनरी उड़ी़ हवा के संग
नई धूप में खुल रहे मन के बाजूबंद
महानगर की व्यस्तता मौसम घोले भंग
इक दिन की आवारगी छुट्टी होली रंग
अंजुरी में भरपूर हों सदा रूप रस गंध
जीवन में अठखेलियाँ करता रहे बसंत !!


...होली के पावन अवसर पर शुभकामनाएँ !!

रविवार, 14 फ़रवरी 2016

प्यार का भी भला कोई नाम होता है ...


तुम मिले तो जिंदगी में रंग भर गए। 
तुम मिले तो जिंदगी के संग हो लिए। 

प्यार का भी भला कोई दिन होता है। इसे समझने में तो जिंदगियां गुजर गईं और प्यार आज भी बे-हिसाब है। कबीर ने यूँ ही नहीं कहा कि 'ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय' . प्यार का न कोई धर्म होता है, न जाति, न उम्र, न देश और न काल। … बस होनी चाहिए तो अंतर्मन में एक मासूम और पवित्र भावना। प्यार लेने का नहीं देने का नाम है, तभी तो प्यार समर्पण मांगता है। कभी सोचा है कि पतंगा बार-बार दिये के पास क्यों जाता है, जबकि वह जानता है कि दीये की लौ में वह ख़त्म हो जायेगा, पर बार-बार वह जाता है, क्योंकि प्यार मारना नहीं, मर-मिटना सिखाता है। तभी तो कहते हैं प्यार का भी भला कोई नाम होता है। यह तो सबके पास है, बस जरुरत उसे पहचानने और अपनाने की है न कि भुनाने की।



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