'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर आज प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटती मानव मेहता की एक ग़ज़ल. आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा...
चाँद के चेहरे से बदली जो हट गयी,
रात सारी फिर आँखों में कट गयी..
छूना चाहा जब तेरी उड़ती हुई खुशबू को,
सांसें मेरी तेरी साँसों से लिपट गयी..
तुमने छुआ तो रक्स कर उठा बदन मेरा,
मायूसी सारी उम्र की इक पल में छट गयी..
बंद होते खुलते हुए तेरे पलकों के दरम्यान,
ए जाने वफ़ा, मेरी कायनात सिमट गयी...
**********************************************************************************
मानव मेहता /स्थान -टोहाना/ शिक्षा -स्नातक (कला) स्नातकोतर (अंग्रेजी) बी.एड./ व्यवसाय -शिक्षक/अंतर्जाल पर सारांश -एक अंत.. के माध्यम से सक्रिय।
चाँद के चेहरे से बदली जो हट गयी,
रात सारी फिर आँखों में कट गयी..
छूना चाहा जब तेरी उड़ती हुई खुशबू को,
सांसें मेरी तेरी साँसों से लिपट गयी..
तुमने छुआ तो रक्स कर उठा बदन मेरा,
मायूसी सारी उम्र की इक पल में छट गयी..
बंद होते खुलते हुए तेरे पलकों के दरम्यान,
ए जाने वफ़ा, मेरी कायनात सिमट गयी...
**********************************************************************************
मानव मेहता /स्थान -टोहाना/ शिक्षा -स्नातक (कला) स्नातकोतर (अंग्रेजी) बी.एड./ व्यवसाय -शिक्षक/अंतर्जाल पर सारांश -एक अंत.. के माध्यम से सक्रिय।
11 टिप्पणियां:
सुंदर गजल एवं सुंदर अहसास
बंद होते खुलते हुए तेरे पलकों के दरम्यान,
ए जाने वफ़ा, मेरी कायनात सिमट गयी...
...Bahut khubsurat bhav..badhai.
वाह! बहुत खूबसूरत ग़ज़ल!
प्रेमरस
खूबसूरत लम्हों को सज़ा कर लिखी रचना ...
bahut sundar ..prem ras me doobi rachna...
akanksha ji, shukriya meri rachna ko apne blog mein shamil karne ke liye...........!!
aap sabhi doston ka tahe-dil s shukriya jinhone is rachna ko sraha......... :))
खूबसूरत ग़ज़ल
बहुत ही सुंदर गजल , बधाई
- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
खूबसूरत और सार्थक प्रस्तुति..बधाई.
खूबसूरत और सार्थक प्रस्तुति..बधाई.
एक टिप्पणी भेजें