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सोमवार, 10 जनवरी 2011

सुनो सनम : अनामिका (सुनीता)

सुनो सनम आज
मुझे श्रृंगारित कर दो
अपने आगोश में लेकर
इस तन को
सुशोभित कर दो...
सुनो सनम आज
मुझे श्रृंगारित कर दो ...


अब तक सुनती आई हूँ..
नदी सागर में गिरती है
पर आज तुम सागर बन कर
मुझ नदी में समा जाओ
प्यार की बदली बन कर
मुझ पर बरस जाओ
सुनो सनम आज
अपने हाथों से
मुझे श्रृंगारित कर दो ...


मेरी मांग सिन्दूरी करो ..
मेरी जुल्फों की
चूडा-मणि खोल
मेरी जुल्फों की खुशबू में
अपनी साँसों को घोलो ..
आज मुझ में
खुद को डुबो लो...


मेरे माथे पर
अपने प्यासे लबों से
बिंदिया सजा दो ..
अपने कमल नयन से दर्पण में
मुझे मेरी सूरत दिखा दो ..


अपने प्यार की मुहर
मेरे रुखसारों पर दे दो
मेरे शुष्क होठों पर
अपने लरज़ते होठों की
लाली दे दो ..
सुनो सनम आज
मुझे श्रृंगारित कर दो ...!!


अपनी बाहों का
हार पहना दो ..
अपने स्पर्श से
मेरे बदन की डाली को
खिला दो..
आज आसमान बन
इस धरती को ढक दो


हाँ, सनम
आज मैं कुछ ज्यादा ही
मांगती हूँ तुमसे..
कि मेरे दिल पर
अपना हाथ रखो
मेरी धडकनों को
अपनी धडकनें सुना दो ..


आज कुछ मनुहार करो
अपनी बाहों में समेटो
कंप-कंपाते अरमानों को
अपने प्यार की
तपिश दे दो.
आज मुझे अपने हाथों से
दुल्हन सा सजा दो...!!


अंदर जो सदियों की आग है
अपने प्यार की बरखा से
तन-मन की प्यास बुझा दो
इस प्यासी ज़मीं को
आज पुलकित कर दो
अपने प्यार के सैलाब से
इसे जल-जल कर दो


सुनो सनम
आज कुछ ज्यादा ही
मांगती हूँ तुमसे
कि आज मुझे
श्रृंगारित कर दो ..!!

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नाम : अनामिका (सुनीता)जन्म : 5 जनवरी, 1969निवास : फरीदाबाद (हरियाणा)शिक्षा : बी।ए , बी.एड.व्यवसाय : नौकरीशौक : कुछः टूटा-फूटा लिख लेना, पुराने गाने सुनना।मेरे पास अपना कुछ नहीं है, जो कुछ है मन में उठी सच्ची भावनाओं का चित्र है और सच्ची भावनाएं चाहे वो दुःख की हों या सुख की....मेरे भीतर चलती हैं॥ ...... महसूस होती हैं ...और मेरी कलम में उतर आती हैं.
ब्लोग्स : अनामिका की सदायें और अभिव्यक्तियाँ

17 टिप्‍पणियां:

आपका अख्तर खान अकेला ने कहा…

anaamikaa or sunitaa do nama or aek bhtrin post bhut bhut bdhaayi bhn ji . akhtar khan akela kota rajsthan

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

बहुत सुन्दर गीत...बधाई.

Minakshi Pant ने कहा…

सुन्दर कविता !
शब्दों का खुबसूरत ताना बाना !
बधाई दोस्त !

shikha varshney ने कहा…

प्रेम और समर्पण से भरा सुन्दर गीत.

Akanksha Yadav ने कहा…

इस प्यासी ज़मीं को
आज पुलकित कर दो
अपने प्यार के सैलाब से
इसे जल-जल कर दो

...खूबसूरत अभिव्यक्तियाँ..अनामिका जी को बधाई.

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

अनामिका जी द्वारा सुन्दर प्रेम गीत...बधाई.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सुन्दर और प्रेमभाव से सराबोर भावाभिव्यक्ति

Sadhana Vaid ने कहा…

श्रृंगार रस की अनुपम भावनाओं की बेहतरीन अभिव्यक्ति ! कोमल अहसासों और मन की तृष्णा को बहुत खूबसूरती से शब्दबद्ध किया है ! मेरी बधाई स्वीकार करें !

उपेन्द्र नाथ ने कहा…

सहज प्रेम की बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति........ सुंदर प्रस्तुति.

ashish ने कहा…

इस प्यार भरी मनुहार में मन पुलकित होकर भीग गया . सुन्दर समर्पण . सुन्दर भाव , आभार .

मनोज कुमार ने कहा…

इस मनुहार के बाद सनम का मन शंकारहित हो जाए। समर्पण की पराकाष्ठा से ओत-प्रोत रचना लाजवाब है।

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

aap sab ki saraahna aur protsahan ka bahut bahut dhanywaad.

Satish Saxena ने कहा…


सुनो सनम,क्या सोच रहे हो
आओ अब, अभिसार मनाएं
दर्द भुलाकर, हँसते हँसते
आज नयी रागिनी बनायें !

सब कष्टों को भुला, कह रही
आज मुझे, श्रंगारित कर दो
सनम सहारा, देकर मुझको
सुप्त ह्रदय, उल्लासित कर दो !
!

Ram Avtar Yadav ने कहा…

sunder kavita. bahut achchhi lagi.

Unknown ने कहा…

उम्दा प्रस्तुति...अच्छे भाव...बधाई.

एस एम् मासूम ने कहा…

सुंदर गीत

.
आज ब्लॉगजगत के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया ऐसे लोगों ने

Raj ने कहा…
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