दो दिल
एक एहसास से
बंध कर
जी लेते हैं!
मिले
जो भी गम
सहर्ष
पी लेते हैं!
क्यूंकि-
प्रेम
देता है
वो शक्ति
जो-
पर्वत सी
पीर को..
रजकण
बता देती है!
जीवन की
दुर्गम राहों को..
सुगम
बना देती है!
बस यह प्रेम
अक्षुण्ण रहे
प्रार्थना में
कह लेते हैं!
भावनाओं के
गगन पर
बादलों संग
बह लेते हैं!
क्यूंकि-
प्रेम देता है
वो निश्छल ऊँचाई
जो-
विस्तार को
अपने आँचल का..
श्रृंगार
बता देती है!
जिस गुलशन में
ठहर जाये
सुख का संसार
बसा देती है!
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अनुपमा पाठक, स्टाकहोम, स्वीडन.
अंतर्जाल पर अनुशील के माध्यम से सक्रियता.
10 टिप्पणियां:
आदरणीय अनुपमा जी बहुत सुंदर कविता पढ़ने को मिली बधाई और नवसम्वत्सर की शुभकामनाएं |
प्रेमरस में सराबोर सुन्दर कविता, बधाई और सार्थक लेखन हेतु शुभकामनाये
jabardast rachana
सुन्दर रचना ...प्रेम हर बाधा को पार करने की हिम्मत देता है
वाह्…………यही तो प्रेम की शक्ति होती है…………सुन्दर रचना।
बहुत सुन्दर रचना..प्रेम की शक्ति का सशक्त चित्रण
बहुत सुन्दर!
--
नवरात्र के प्रथम दिन माँ शैलपुत्री को प्रणाम करता हूँ!
--
नवसम्वतसर सभी का, करे अमंगल दूर।
देश-वेश परिवेश में, खुशियाँ हों भरपूर।।
बाधाएँ सब दूर हों, हो आपस में मेल।
मन के उपवन में सदा, बढ़े प्रेम की बेल।।
एक मंच पर बैठकर, करें विचार-विमर्श।
अपने प्यारे देश का, हो प्रतिपल उत्कर्ष।।
मर्यादा के साथ में, खूब मनाएँ हर्ष।
बालक-वृद्ध-जवान को, मंगलमय हो वर्ष।।
क्यूंकि-
प्रेम
देता है
वो शक्ति
जो-
पर्वत सी
पीर को..
रजकण
बता देती है!
Behad sundar!
कित्ती अच्छी कविता है...वाकई प्रेम अनमोल है.
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'पाखी की दुनिया' में भी आपका स्वागत है.
प्रेम देता है
वो निश्छल ऊँचाई
जो-
विस्तार को
अपने आँचल का..
श्रृंगार
बता देती है!
जिस गुलशन में
ठहर जाये
सुख का संसार
बसा देती है!
....Sundar geet..badhai.
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