'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर आज प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटता यशोधरा यादव ‘यशो‘ का एक गीत. आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा...
आपके दामन से मेरा, जन्म का नाता रहा है ,
प्यार की गहराइयों का, राज बतलाता रहा है।
मौन मत बैठो कहो कुछ, आज मौसम है सुहाना,
कलखी धुन ने बजाया, प्यार का मीठा तराना।
एक सम्मोहन धरा की, मूक भाषा बोलती है,
और नभ दे दुंदुभी, नवरागिनी गाता रहा है।
आपके दामन......................।
प्यार का मकरन्द भरकर, बादलों का टोल आया,
आम की अमराइयों में, हरित ने आँचल बिछाया।
सूर्य का लुक-छुप निकलना, मुस्कराना देखकर,
मन मयूरी नृत्य कर, कर मान इतराता रहा है।
आपके दमन......................।
भाव का कोई शब्द ही तो, मेरे उर को भेदता है,
गीत की हर पंक्ति बनकर, नव सुगंध बिखेरता है।
बंसुरी की धुन बजाता है, कहीं कान्हा सुरीली,
और चितवन राधिका का, पाँव थिरकाता रहा है।
आपके दामन......................।
दीप तेरा प्यार बनकर, झिलमिलाते द्वार मेरे,
आज कोयल गीत प्रियवर, गा रही उपवन सवेरे।
मन समुंदर की हिलोरे, चूमती बेताब तट की,
रूख हवाओं का विहंस कर, गुनगुनाता जा रहा है।
आपके दामन......................।
*********************************************************************************
यशोधरा यादव ‘यशो‘,
ग्राम-जामपुर पो0- चमरौला, एत्मादपुर (आगरा)-283201
अंतर्जाल पर 'यशोधरा के गीत' के माध्यम से सक्रियता !!
आपके दामन से मेरा, जन्म का नाता रहा है ,
प्यार की गहराइयों का, राज बतलाता रहा है।
मौन मत बैठो कहो कुछ, आज मौसम है सुहाना,
कलखी धुन ने बजाया, प्यार का मीठा तराना।
एक सम्मोहन धरा की, मूक भाषा बोलती है,
और नभ दे दुंदुभी, नवरागिनी गाता रहा है।
आपके दामन......................।
प्यार का मकरन्द भरकर, बादलों का टोल आया,
आम की अमराइयों में, हरित ने आँचल बिछाया।
सूर्य का लुक-छुप निकलना, मुस्कराना देखकर,
मन मयूरी नृत्य कर, कर मान इतराता रहा है।
आपके दमन......................।
भाव का कोई शब्द ही तो, मेरे उर को भेदता है,
गीत की हर पंक्ति बनकर, नव सुगंध बिखेरता है।
बंसुरी की धुन बजाता है, कहीं कान्हा सुरीली,
और चितवन राधिका का, पाँव थिरकाता रहा है।
आपके दामन......................।
दीप तेरा प्यार बनकर, झिलमिलाते द्वार मेरे,
आज कोयल गीत प्रियवर, गा रही उपवन सवेरे।
मन समुंदर की हिलोरे, चूमती बेताब तट की,
रूख हवाओं का विहंस कर, गुनगुनाता जा रहा है।
आपके दामन......................।
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यशोधरा यादव ‘यशो‘,
ग्राम-जामपुर पो0- चमरौला, एत्मादपुर (आगरा)-283201
अंतर्जाल पर 'यशोधरा के गीत' के माध्यम से सक्रियता !!
7 टिप्पणियां:
सुन्दर भावाव्यक्ति।
बहुत सुन्दर भावमयी प्रस्तुति..
दीप तेरा प्यार बनकर, झिलमिलाते द्वार मेरे,
आज कोयल गीत प्रियवर, गा रही उपवन सवेरे।
मन समुंदर की हिलोरे, चूमती बेताब तट की,
रूख हवाओं का विहंस कर, गुनगुनाता जा रहा है।
आपके दामन......................।
Ateev sundar!
सरस, सुंदर रचना।
सुंदर रचना।
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
आनन्द आया... बहुत सुन्दर....
भाव का कोई शब्द ही तो, मेरे उर को भेदता है,
गीत की हर पंक्ति बनकर, नव सुगंध बिखेरता है।
बंसुरी की धुन बजाता है, कहीं कान्हा सुरीली,
और चितवन राधिका का, पाँव थिरकाता रहा है।
....शानदार अभिव्यक्ति...बधाई.
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