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सोमवार, 30 मई 2011

प्रेम-गीत : अनामिका घटक

'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर आज प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटती अनामिका घटक का एक प्रेम-गीत . आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा...

कतरा-कतरा ज़िंदगी का
पी लेने दो
बूँद बूँद प्यार में
जी लेने दो

हल्का-हल्का नशा है
डूब जाने दो
रफ्ता-रफ्ता “मैं” में
रम जाने दो

जलती हुई आग को
बुझ जाने दो
आंसुओं के सैलाब को
बह जाने दो

टूटे हुए सपने को
सिल लेने दो
रंज-ओ-गम के इस जहां में
बस लेने दो

मकाँ बन न पाया फकीरी
कर लेने दो
इस जहां को ही अपना
कह लेने दो

तजुर्बा-इ-इश्क है खराब
समझ लेने दो
अपनी तो ज़िंदगी बस यूं ही
जी लेने दो

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नाम:अनामिका घटक
जन्मतिथि : २७-१२-१९७०
जन्मस्थान :वाराणसी
कर्मस्थान: नॉएडा
व्यवसाय : अर्द्धसरकारी संस्थान में कार्यरत
शौक: साहित्य चर्चा , लेखन और शास्त्रीय संगीत में गहन रूचि.

7 टिप्‍पणियां:

Patali-The-Village ने कहा…

मकाँ बन न पाया फकीरी
कर लेने दो
इस जहां को ही अपना
कह लेने दो

बहुत सुन्दर रचना| धन्यवाद

Unknown ने कहा…

कतरा-कतरा ज़िंदगी का
पी लेने दो
बूँद बूँद प्यार में
जी लेने दो

सुन्दर कविता बधाई

Sunil Kumar ने कहा…

कतरा-कतरा ज़िंदगी का
पी लेने दो
बूँद बूँद प्यार में
जी लेने दो
दिल तक पहुँच गयी रचना , बधाई
अगर बुरा ना मानें तो राम को रम कर लीजिये

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत खूबसूरत...

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना..

Akanksha Yadav ने कहा…

अनामिका घटक जी को सुन्दर गीत के लिए बधाई !!

Akanksha Yadav ने कहा…

@ Sunil Ji,

त्रुटि की ओर ध्यान आकृष्ट करने के लिए आभार. अब संशोधन कर लिया गया है.