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शुक्रवार, 18 जून 2010

ओ मेरे मनमीत!

'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर आज प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटता रावेन्द्र कुमार रवि जी का एक प्रेम-गीत 'ओ मेरे मनमीत'. आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा...

सोच रहा-
तुम पर ही रच दूँ
मैं कोई नवगीत!

शब्द-शब्द में
यौवन भर दूँ,
पंक्ति-पंक्ति में प्रीत!
हर पद में
मुस्कान तुम्हारी
ज्यों मिश्री-नवनीत!
सोच रहा-

मैं ही मात्र
सुन सकूँ उसका
मधुर-मधुर संगीत!
जिसके हर सुर में
तुम ही हो
ओ मेरे मनमीत!
सोच रहा-

जो भी राग
सजा हो उसमें,
हो उसमें नवरीत!
जिसके गुंजन में
गुंजित हो
हर पल मन की जीत!
सोच रहा-



(रावेन्द्र कुमार रवि जी के जीवन-परिचय के लिए क्लिक करें)

24 टिप्‍पणियां:

श्यामल सुमन ने कहा…

गूँज रहा है हर शब्दों में
रवि के मन की प्रीत

सुन्दर भाव

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

निर्मला कपिला ने कहा…

बहुत सुन्दर गीत।बधाई

दिलीप ने कहा…

waah bahut badhiya geet

Unknown ने कहा…

बेहतरीन प्रेम गीत...शुभकामनाएं।

Udan Tashtari ने कहा…

शानदार!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत सुन्दर गीत ..

KK Yadav ने कहा…

ओ मेरे मनमीत...खूबसूरत भावाभिव्यक्ति..बधाई !!

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

सुन्दर गीत लिखा रवि अंकल ने..बधाई.

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

sochna kya hai......navgeet gadhh chuka hai......aapke pyar ka!!jiske har shabd se pyar jhalak raha hai.......:)

shikha varshney ने कहा…

बहुत सुन्दर गीत.

बेनामी ने कहा…

मैं ही मात्र
सुन सकूँ उसका
मधुर-मधुर संगीत!
जिसके हर सुर में
तुम ही हो
ओ मेरे मनमीत!

....मनभावन गीत..बधाई !!

मनोज कुमार ने कहा…

आपने इस कविता में अपने-आपको बहुत अच्छी तरह से बखूबी ढ़ाला है, और ऐसा लग रहा है कि आप बोल रहें हो या नहीं, आपकी कविता ज़रूर बोल रही है।

मनोज कुमार ने कहा…

आपने इस कविता में अपने-आपको बहुत अच्छी तरह से बखूबी ढ़ाला है, और ऐसा लग रहा है कि आप बोल रहें हो या नहीं, आपकी कविता ज़रूर बोल रही है।

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

मनभावन गीत। बधाई।

वाणी गीत ने कहा…

जिसके गुंजन में
गुंजित हो
हर पल मन की जीत!
सुन्दर गीत ..

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

सुंदर गीत के लिए बधाई.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

मधुर प्रेम की अभिव्यक्ति बहुत ही मनभावन है .... अच्छी रचना है ...

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

रवि जी की एक और उत्तम प्रस्तुति...बधाई.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

आकांक्षा जी /अभिलाषा जी, 'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग की नई डिजाईन तो काफी मनभावन लगी..बधाई.

Akanksha Yadav ने कहा…

जो भी राग
सजा हो उसमें,
हो उसमें नवरीत!
जिसके गुंजन में
गुंजित हो
हर पल मन की जीत!

बेहतरीन अभिव्यक्ति..बधाई !

बेनामी ने कहा…

behad sunder

http://anusamvedna.blogspot.com ने कहा…

बेहद सुन्दर रचना .... बधाई

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत बढिया!!

Unknown ने कहा…

atyant manmohak prastuti
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