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रविवार, 6 फ़रवरी 2011

ये प्यार है : शिखा वार्ष्णेय

कुछ कोमल से अहसास हैं
कुछ सोये हुए ज़ज्वात हैं
है नहीं ये ज्वाला कोई
सुलगी सुलगी सी आग है
कुछ और नहीं ये प्यार है।
धड़कन बन जो धड़क रही
ज्योति बन जो चमक रही
साँसों में बसी सुगंध सी
महकी महकी सी बयार है
कुछ और नहीं ये प्यार है।
हो कोई रागिनी छिडी जेसे
रिमझिम पड़ती बूंदे वेसे
है झंकृत मन का तार तार
लिए प्रीत का पावन संसार है
कुछ और नहीं ये प्यार है !!
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शिखा वार्ष्णेय, moscow state university से गोल्ड मैडल के साथ
T V Journalism में मास्टर्स करने के बाद कुछ समय एक टीवी चेनेंल में न्यूज़ प्रोड्यूसर के तौर पर काम किया ,हिंदी भाषा के साथ ही अंग्रेजी ,और रुसी भाषा पर भी समान अधिकार है परन्तु खास लगाव अपनी मातृभाषा से ही है.वर्तमान में लन्दन में रहकर स्वतंत्र लेखन जारी है.अंतर्जाल पर स्पंदन (SPANDAN)के माध्यम से सक्रियता.

18 टिप्‍पणियां:

Atul Shrivastava ने कहा…

अच्‍छी रचना। प्‍यारे भाव लिए इस पोस्‍ट को लेकर सिर्फ इतना ही कहना है, 'प्‍यार सच्‍चा है तो राहें निकल आती हैं, बिजलियां अर्श से खुद रास्‍ता दिखाती हैं।'
एक और, 'रह जाती है अधूरी कोई बात हर बार,
शायद इसी को कहते हैं, प्‍यार, पहला प्‍यार।'

upen-srijan ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
उपेन्द्र नाथ ने कहा…

सुलगी सुलगी सी आग है
*
महकी महकी सी बयार है
*
है झंकृत मन का तार तार
प्रीत का पावन संसार है
कुछ और नहीं ये प्यार है !!
शिखा जी , बहुत ही गहरे एहसास है . प्यार का बहुत ही गहन विश्लेषण ............ सुंदर प्रस्तुति

ashish ने कहा…

ये प्यार चीज ही ऐसी है जो बिना बोले ही महसूस की जाती है , आपने पूरी शिद्दत से महसूस करके लिखा है , उत्कृष्ट रचना .

ashish ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Anamikaghatak ने कहा…

bahut sundar prastuti........bhavmayee prastuti

Arvind Mishra ने कहा…

कितना तो मुश्किल है प्यार को परिभाषित कर पाना और बिना खुद के अहसास के यह संभव नहीं है ...
बड़ी बात यह है कि यह अहसास सतत जीवन और स्पंदित अगर हो कहीं भी तो वह कितना भाग्यशाली होगा !
अच्छी प्रेम कविता !

girish pankaj ने कहा…

bilkul sahi paribhashaa pyaar ki..jalati rahe kavitaa ki yah sundar-shikha

shikha varshney ने कहा…

आप सभी गुनी जानो का बहुत धन्यवाद ..और आकांक्षा जी का बहुत आभार .

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर जी,

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

ज्योति बन जो चमक रही
साँसों में बसी सुगंध सी
महकी महकी सी बयार है
कुछ और नहीं ये प्यार है।

प्यार को अलग-अलग कोणों से निहारती सुंदर कविता।

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

hmmm!! ye pyar hai...hame to pata hi nahi tha..:)
pyari rachna...:)

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

hmmm!! ye pyar hai...hame to pata hi nahi tha..:)
pyari rachna...:)

सुरेश शर्मा (कार्टूनिस्ट) ने कहा…

पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ ,
आप बहुत अच्छा लिखती हैं ..आभार !

Unknown ने कहा…

बहुत सुन्दर पोस्ट...ऋतुराज के आगमन पर शुभकामनायें.

माँ सरस्वती का आशीर्वाद आप पर बना रहे.

smshindi By Sonu ने कहा…

कल है तेदीिवेय्र डे मुबारक हो आपको एक दिन पहले

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Happy Teddy Vear Day

सुनील गज्जाणी ने कहा…

सुलगी सुलगी सी आग है
*
महकी महकी सी बयार है
*
है झंकृत मन का तार तार
प्रीत का पावन संसार है
कुछ और नहीं ये प्यार है !!
शिखा जी , बहुत ही गहरे एहसास है . प्यार का बहुत ही गहन विश्लेषण .
सुंदर प्रस्तुति

kshama ने कहा…

Bahut khoobsoorat rachana chuni hai aapne!