'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर आज प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटती अनामिका घटक का एक प्रेम-गीत . आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा...
कतरा-कतरा ज़िंदगी का
पी लेने दो
बूँद बूँद प्यार में
जी लेने दो
हल्का-हल्का नशा है
डूब जाने दो
रफ्ता-रफ्ता “मैं” में
रम जाने दो
जलती हुई आग को
बुझ जाने दो
आंसुओं के सैलाब को
बह जाने दो
टूटे हुए सपने को
सिल लेने दो
रंज-ओ-गम के इस जहां में
बस लेने दो
मकाँ बन न पाया फकीरी
कर लेने दो
इस जहां को ही अपना
कह लेने दो
तजुर्बा-इ-इश्क है खराब
समझ लेने दो
अपनी तो ज़िंदगी बस यूं ही
जी लेने दो
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नाम:अनामिका घटक
जन्मतिथि : २७-१२-१९७०
जन्मस्थान :वाराणसी
कर्मस्थान: नॉएडा
व्यवसाय : अर्द्धसरकारी संस्थान में कार्यरत
शौक: साहित्य चर्चा , लेखन और शास्त्रीय संगीत में गहन रूचि.
7 टिप्पणियां:
मकाँ बन न पाया फकीरी
कर लेने दो
इस जहां को ही अपना
कह लेने दो
बहुत सुन्दर रचना| धन्यवाद
कतरा-कतरा ज़िंदगी का
पी लेने दो
बूँद बूँद प्यार में
जी लेने दो
सुन्दर कविता बधाई
कतरा-कतरा ज़िंदगी का
पी लेने दो
बूँद बूँद प्यार में
जी लेने दो
दिल तक पहुँच गयी रचना , बधाई
अगर बुरा ना मानें तो राम को रम कर लीजिये
बहुत खूबसूरत...
बहुत सुन्दर रचना..
अनामिका घटक जी को सुन्दर गीत के लिए बधाई !!
@ Sunil Ji,
त्रुटि की ओर ध्यान आकृष्ट करने के लिए आभार. अब संशोधन कर लिया गया है.
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