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मंगलवार, 13 अप्रैल 2010

पीले फूल : संगीता स्वरुप

'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर आज प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटती संगीता स्वरुप जी की कविता. आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा...

मैंने
यादों के दरख्त पर
टांग दिए थे
अपनी चाहतों के
पीले फूल
और
देखा करती थी
उनको अपनी
निर्निमेष आँखों से
जब भी
कोई चाहत
होती थी पूरी
तो एक फूल
वहां से झर
आ गिरता था
मेरी झोली में
और मैं
उसे बड़े जतन से
सहेज कर
रख लेती थी
अपने दिल के
मखमली डिब्बे में।
बहुत से
फूलों की सुगंध से
सुवासित है
मेरा मन
पर
अभी भी
इंतज़ार है मुझे
उस फूल का
जो मैंने
तुम्हारे नाम का
टांगा था...
******************************************
नाम- संगीता स्वरुप
जन्म- ७ मई १९५३
जन्म स्थान- रुड़की (उत्तर प्रदेश)
शिक्षा- स्नातकोत्तर (अर्थशास्त्र)
व्यवसाय- गृहणी (पूर्व में केन्द्रीय विद्यालय में शिक्षिका रह चुकी हूँ)
शौक- हिंदी साहित्य पढ़ने का, कुछ टूटा फूटा अभिव्यक्त भी कर लेती हूँ. कुछ विशेष नहीं है जो कुछ अपने बारे में बताऊँ... मन के भावों को कैसे सब तक पहुँचाऊँ कुछ लिखूं या फिर कुछ गाऊँ । चिंतन हो जब किसी बात पर और मन में मंथन चलता हो उन भावों को लिख कर मैं शब्दों में तिरोहित कर जाऊं । सोच - विचारों की शक्ति जब कुछ उथल -पुथल सा करती हो उन भावों को गढ़ कर मैं अपनी बात सुना जाऊँ जो दिखता है आस - पास मन उससे उद्वेलित होता है उन भावों को साक्ष्य रूप दे मैं कविता सी कह जाऊं.


निवास स्थान- दिल्ली
ब्लॉग - गीत

27 टिप्‍पणियां:

kunwarji's ने कहा…

Ji bahut badhiya....

kunwar ji,

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

संगीता जी, बहुत श्रेष्‍ठ कविता।

मनोज कुमार ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति!

KK Yadav ने कहा…

बेहतरीन कविता..संगीता जी को बधाई.

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

प्रेम की सघन अनुभूति...खूबसूरत भाव.

संगीता जी को बधाई.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

खूबसूरत ...
_________
'पाखी की दुनिया' में मम्मी-पापा की लाडली..आप भी आयें !!

रंजू भाटिया ने कहा…

बहुत पसंद आई यह कविता बहुत सुन्दर

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

अभी भी
इंतज़ार है मुझे
उस फूल का
जो मैंने
तुम्हारे नाम का
टांगा था...
...बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति...आपको बधाई.

Shyama ने कहा…

मान गए आपकी लेखनी को संगीता जी..बहुत-बहुत बधाई.

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

संगीता जी, पहली बार आपको पढ़ रहा हूँ, अत्यंत प्रभावशाली.

Akanksha Yadav ने कहा…

दिल को छु लेने वाले भाव है आपकी इस रचना में..संगीता जी बधाई.

Unknown ने कहा…

वाकई प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटती संगीता स्वरुप जी की कविता बेहद मनभावन लगी.

Unknown ने कहा…

वाकई प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटती संगीता स्वरुप जी की कविता बेहद मनभावन लगी.

www.dakbabu.blogspot.com ने कहा…

उम्दा प्रस्तुति..बधाइयाँ.

Bhanwar Singh ने कहा…

Khubsurat Abhivyaktiyan..badhai.

रश्मि प्रभा... ने कहा…

यादों के दरख्त पर
चाहतों के फूल
....... bejod rachna

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

आप सबके प्रोत्साहन ने अभिभूत कर दिया....दिल से शुक्रिया

rashmi ravija ने कहा…

अभी भी
इंतज़ार है मुझे
उस फूल का
जो मैंने
तुम्हारे नाम का
टांगा था...
बहुत ही ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति

Udan Tashtari ने कहा…

सुन्दर रचना!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपके पीले फूलों ने तो मन मोह लिया!
श्रेष्ठ कविता!

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

अपने दिल के
मखमली डिब्बे में।
बहुत से
फूलों की सुगंध से
सुवासित है
मेरा मन
kitni nirmalta haal-e-dil bayan kiya hai.. mano sunder pyar ka jharna beh nikla ho.

पर
अभी भी
इंतज़ार है मुझे
उस फूल का
जो मैंने
तुम्हारे नाम का
टांगा था...

umeede hai to raahe bhi banengi
intzar ho jayega khatam....
abhi to basant apki jholi me
aise fool aur bhi bharegi..

keep smiliing.

M VERMA ने कहा…

अभी भी
इंतज़ार है मुझे
उस फूल का
जो मैंने
तुम्हारे नाम का
टांगा था...
सुवासित और सुन्दर रचना

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सभी पाठकों का आभार

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

यह कविता तो मनमीत की तरह मनभावन है!

बेनामी ने कहा…

तो एक फूल
वहां से झर
आ गिरता था
मेरी झोली में
और मैं
उसे बड़े जतन से
सहेज कर
रख लेती थी
अपने दिल के
मखमली डिब्बे में।
...Bahut khub !!

hsoniyal ने कहा…

एक अनछुये अहसास के
आगोश में समाते हुए
महसूस किया प्यार को

बहुत खूबसूरती से अभिव्यक्त किया है एहसास को..