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शनिवार, 24 अप्रैल 2010

प्रेम

'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर आज प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटती कृष्ण कुमार यादव की कविता. आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा...

प्रेम एक भावना है
समर्पण है, त्याग है
प्रेम एक संयोग है
तो वियोग भी है
किसने जाना प्रेम का मर्म
दूषित कर दिया लोगों ने
प्रेम की पवित्र भावना को
कभी उसे वासना से जोड़ा
तो कभी सिर्फ उसे पाने से
भूल गये वे कि प्यार सिर्फ
पाना ही नहीं खोना भी है
कृष्ण तो भगवान थे
पर वे भी न पा सके राधा को
फिर भी हम पूजते हैं उन्हें
पतंगा बार-बार जलता है
दीये के पास जाकर
फिर भी वो जाता है
क्योंकि प्यार
मर-मिटना भी सिखाता है.
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भारत सरकार की सिविल सेवा में अधिकारी होने के साथ-साथ हिंदी साहित्य में भी जबरदस्त दखलंदाजी रखने वाले बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी कृष्ण कुमार यादव का जन्म १० अगस्त १९७७ को तहबरपुर आज़मगढ़ (उ. प्र.) में हुआ. जवाहर नवोदय विद्यालय जीयनपुर-आज़मगढ़ एवं तत्पश्चात इलाहाबाद विश्वविद्यालय से १९९९ में आप राजनीति-शास्त्र में परास्नातक उपाधि प्राप्त हैं. समकालीन हिंदी साहित्य में नया ज्ञानोदय, कादम्बिनी, सरिता, नवनीत, आजकल, वर्तमान साहित्य, उत्तर प्रदेश, अकार, लोकायत, गोलकोण्डा दर्पण, उन्नयन, दैनिक जागरण, अमर उजाला, राष्ट्रीय सहारा, आज, द सण्डे इण्डियन, इण्डिया न्यूज, अक्षर पर्व, युग तेवर इत्यादि सहित 200 से ज्यादा पत्र-पत्रिकाओं व सृजनगाथा, अनुभूति, अभिव्यक्ति, साहित्यकुंज, साहित्यशिल्पी, रचनाकार, लिटरेचर इंडिया, हिंदीनेस्ट, कलायन इत्यादि वेब-पत्रिकाओं में विभिन्न विधाओं में रचनाओं का प्रकाशन. अब तक एक काव्य-संकलन "अभिलाषा" सहित दो निबंध-संकलन "अभिव्यक्तियों के बहाने" तथा "अनुभूतियाँ और विमर्श" एवं एक संपादित कृति "क्रांति-यज्ञ" का प्रकाशन. बाल कविताओं एवं कहानियों के संकलन प्रकाशन हेतु प्रेस में. व्यक्तित्व-कृतित्व पर "बाल साहित्य समीक्षा" व "गुफ्तगू" पत्रिकाओं द्वारा विशेषांक जारी. शोधार्थियों हेतु आपके व्यक्तित्व-कृतित्व पर एक पुस्तक "बढ़ते चरण शिखर की ओर : कृष्ण कुमार यादव" का प्रकाशन. आकाशवाणी लखनऊ, कानपुर और पोर्टब्लेयर से रचनाओं, वार्ता, परिचर्चा के प्रसारण के साथ दो दर्जन से अधिक प्रतिष्ठित काव्य-संकलनों में कवितायेँ प्रकाशित. विभिन्न प्रतिष्ठित सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं द्वारा समय-समय पर सम्मानित. अभिरुचियों में रचनात्मक लेखन-अध्ययन-चिंतन के साथ-साथ फिलाटेली, पर्यटन व नेट-सर्फिंग भी शामिल. अंतर्जाल पर शब्द सृजन की ओर एवं डाकिया डाक लाया ब्लॉग के माध्यम से सक्रियता. बकौल साहित्य मर्मज्ञ एवं पद्मभूषण गोपाल दास 'नीरज'- " कृष्ण कुमार यादव यद्यपि एक उच्चपदस्थ सरकारी अधिकारी हैं, किन्तु फिर भी उनके भीतर जो एक सहज कवि है वह उन्हें एक श्रेष्ठ रचनाकार के रूप में प्रस्तुत करने के लिए निरंतर बेचैन रहता है. उनमें बुद्धि और हृदय का एक अपूर्व संतुलन है. वो व्यक्तिनिष्ठ नहीं समाजनिष्ठ साहित्यकार हैं जो वर्तमान परिवेश की विद्रूपताओं, विसंगतियों, षड्यंत्रों और पाखंडों का बड़ी मार्मिकता के साथ उदघाटन करते हैं."
सम्पर्क:कृष्ण कुमार यादव, भारतीय डाक सेवा, निदेशक डाक सेवाएँ, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह,पोर्टब्लेयर-744101

27 टिप्‍पणियां:

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

बहुत सुन्दर कविता. प्रेम के मर्म को करीने से समझाती..के.के. यादव को बधाई.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत भावपूर्ण रचना..प्रेम को अभिव्यक्त करती हुई...

Shyama ने कहा…

प्रेम को सुन्दर शब्दों में संजोया गया इस कविता में..शानदार.

S R Bharti ने कहा…

भावनाओं का सुन्दर संगमन व प्यार का अद्भुत अहसास परिलक्षित होता है इस कविता में..हार्दिक बधाई.

Unknown ने कहा…

प्यार को सुन्दर शब्दों में सजोया..भावपूर्ण कविता..कृष्ण कुमार यादव जी को हार्दिक बधाई.

मन-मयूर ने कहा…

प्यार का खूबसूरत अहसास कराती उम्दा कविता. बधाई.

मन-मयूर ने कहा…

प्यार का खूबसूरत अहसास कराती उम्दा कविता. बधाई.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

प्यार की पवित्रता को सुन्दर शब्द दिए कृष्ण जी ने...नाम के अनुरूप ही..सुन्दर है.

दिलीप ने कहा…

bahut sundar abhivyanjana ki hai prem ki Krishna ji ne...

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

पतंगा बार-बार जलता है
दिये के पास जाकर
फिर भी वो जाता है
क्योंकि प्यार
मर-मिटना भी सिखाता है !!
....बहुत ऊँची बात है इन पंक्तियों में.

Akanksha Yadav ने कहा…

कृष्ण तो भगवान थे
पर वे भी
न पा सके राधा को
फिर भी हम पूजते हैं उन्हें
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यह सही है कि भगवान कृष्ण की पत्नी रुक्मिणी थीं, और राधा जी उनका प्यार थीं..... पर इसका मतलब यह नहीं कि वे राधा को न पा सके. कृष्ण-राधा के प्यार को लौकिक नहीं आध्यात्मिक रूप में देखने की जरुरत है, जहाँ पर आत्मा एकाकार हो जाती है...वाकई बहुत बढ़िया लिखा है,बधाई !!!

Shahroz ने कहा…

नाम ही कृष्ण है तो प्रेम पर बेहतर ही लिखेंगे, हार्दिक बधाई.

KK Yadav ने कहा…

अभिलाषा जी, सप्तरंगी प्रेम ब्लॉग पर मेरी कविता के प्रकाशन के लिए आभार !!

Bhanwar Singh ने कहा…

प्रेम एक सुखद अनुभूति है. वासना से परे यह पवित्रतता का एहसास है.प्रेम पर बहुत उम्दा भाव हैं कृष्ण कुमार जी के..बधाई.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

प्रकृति ने हमें केवल प्रेम के लिए यहाँ भेजा है. इसे किसी दायरे में नहीं बाधा जा सकता है.बस इसे सही तरीके से परिभाषित करने की आवश्यकता है. कृष्ण कुमार जी जी की प्रेम कविता से यही सुन्दर भाव टपकते हैं...अद्भुत.

बेनामी ने कहा…

वाह!! बहुत अच्छी कविता है.

अंजना ने कहा…

कृष्ण कुमार यादव जी प्रेम को आप ने बहुत ही सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया है।वैसे भी प्रेम एक ऎसा बाण है जिस का निशाना खाली नही जाता ।तभी तो कान्हा योगियो के ध्यान मे नही आते लेकिन गोपियाँ उसे एक लस्सी के प्याले के लिए नाच नचाती थी क्योकि गोपियो का प्रेम अद्धितीय था ।

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

प्रेम की सुंदर अभिव्यक्ति. बधाई कृष्ण कुमार जी...

अभिलाषा जी सुंदर रचनाओं को प्रस्तुत करने के लिए बहुत बहुत आभार..

M VERMA ने कहा…

क्योंकि प्यार
मर-मिटना भी सिखाता है.
और फिर जब प्यार में मर-मिटता है इंसान तो वही से जीवन की सार्थक सौगात मिलती है
बेहतरीन रचना के लिये बधाई

sansadjee.com ने कहा…

कृष्ण तो भगवान थे
पर वे भी न पा सके राधा को...

वाह, क्या भावपूर्ण रचना है।

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

बहुत सघन अनुभूति से भरी रचना है।कवि कैलाश गौतम का एक दोहा है-जिसकी पडनी थी पडी पडी न उसकी दीढि। मन मसोस कर रह गयी खुली धूप मेँ पीठ।

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

इस कविता के माध्यम से प्रेम की अभिव्यक्ति को
एक अनोखे अंदाज़ में प्रस्तुत किया गया है!

बेनामी ने कहा…

सच्चे प्रेम में समपर्ण भी निहित है - सुंदर अभिव्यक्ति - आभार

S R Bharti ने कहा…

प्रेम एक भावना है
समर्पण है, त्याग है
प्रेम एक संयोग है
तो वियोग भी है

अति उत्तम सर ,

प्रेम के भावों का आकर्षक तथा यथार्थ आइना
बहुत बहुत आभार I

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

Paana hi nahin khone ka naam bhi prem hai....
Sach, sau pratishat!!!
Shubh kaamnaen!

रचना दीक्षित ने कहा…

अच्छी लगी आपकी ये प्रस्तुती

editor : guftgu ने कहा…

पतंगा बार-बार जलता है
दीये के पास जाकर
फिर भी वो जाता है
क्योंकि प्यार
मर-मिटना भी सिखाता है.
...प्रेम को सुन्दर शब्दों में संजोया गया इस कविता में..शानदार.