बहुत कुछ कहना चाहती हूं
जताना चाहती हूं
हवाओं से
गुलाबों से
खुश्बुओं से
जो मन में है
कि तुम क्या हो !!!
मेरे जीवन में ,
पर
कुछ कहना चाहूं
तो
होंठ संकोच से
सिमट कर रह जाते है
चुप सी छा जाती है
अर्थों पर
और वह चुप्पी
बयां कर देती है
जो लफ़जों के बंधे किनारे
से बहुत अधिक
नीले आसमां तक
शून्य के चहुं ओर
फैल कर
पत्तों की
सर सर
भोर की खन खन
से भी अधिक
होती है !
तब सोचूं
तुम स्वर हो मेरे
और
मैं
तुम्हारा
मौन वर्णन !
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किरण राजपुरोहित नितिला / जोधपुर/ रूचि-साहित्य पढना,कविता कहानी लिखना, फोटोग्राफी , स्कैच बनाना, तैल चित्रकारी करना ,ऐतिहासिक जगह देखना/ मेरे बारे में : छोटी छोटी खुशियां जो अनमोल है ,बस वही तो सही जिंदगी है उन में से एक यह ब्ब्ब्लॉग. ब्ब्लॉग की दुनिया में मैं एक बूंद हूं । पूरे वजूद के साथ् खनकती हूं। कभी आर्टिस्ट कभी लिखना और घर की रानी हूं तो राज तो करती ही हूं. अंतर्जाल पर भोर की पहली किरण के माध्यम से सक्रियता.
किरण राजपुरोहित नितिला / जोधपुर/ रूचि-साहित्य पढना,कविता कहानी लिखना, फोटोग्राफी , स्कैच बनाना, तैल चित्रकारी करना ,ऐतिहासिक जगह देखना/ मेरे बारे में : छोटी छोटी खुशियां जो अनमोल है ,बस वही तो सही जिंदगी है उन में से एक यह ब्ब्ब्लॉग. ब्ब्लॉग की दुनिया में मैं एक बूंद हूं । पूरे वजूद के साथ् खनकती हूं। कभी आर्टिस्ट कभी लिखना और घर की रानी हूं तो राज तो करती ही हूं. अंतर्जाल पर भोर की पहली किरण के माध्यम से सक्रियता.
15 टिप्पणियां:
बहुत उम्दा रचना!
बहुत अच्छी रचना ...
badhiya prastuti.......:)
kuch bhawnayen pratikriya kee muhtaj nahin hoti, we mukhar hoti hain aur khud ko darz karti jati hain ....
बहुत प्यारी रचना...मजा आ गया पढ़कर.
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'पाखी की दुनिया' - बच्चों के ब्लॉगस की चर्चा 'हिंदुस्तान' अख़बार में भी
किरण राजपुरोहित नितिला जी की रचना बहुत सुन्दर हे!
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आज दो दिन बाद नेट सही हो पाया है!
--
शाम तक सभी के ब्लॉग पर
हाजिरी लगाने का इरादा है!
बहुत प्यारी रचना ...स्वर और मौन को कहती हुई ..
तुम स्वर हो मेरे
और
मैं
तुम्हारा
मौन वर्णन !
बहुत खूबसूरत.
सुंदर रचना है आपकी आकांक्षा जी.
bhn aakaankshaa bhut khub bhut achchi prstuti bdhaayi ho. akhtar khan akela kota rajsthan
यह सब पढ़कर
यह गीत याद आ गया -
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भोर की पहली किरण बनकर ज़रा छू दीजिए!
आपकी सौगंध हम खिलकर कमल हो जाएँगे!
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शब्द सामर्थ्य, भाव-सम्प्रेषण, संगीतात्मकता, लयात्मकता की दृष्टि से कविता अत्युत्तम हैं।
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
अलाउद्दीन के शासनकाल में सस्ता भारत-१, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
अभिलाषा की तीव्रता एक समीक्षा आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!
bahut sundar rachnaa...
bahut sundar rachnaa...
Itni bhavanatmak rachna...kitni sundar..aankh band karen..to aapki panktiyan..tahsveer ban jaati hain..waa
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