'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर आज प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटती सुभाष प्रसाद गुप्ता की कविताएं. आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा...
जब से मैं रंगा हूँ तेरे प्रेम रंग में रंग रसिया,
मेरा तन मन सब इंद्रधनुषी होने लगा हैI
जब से मिला है धरकन तेरे सुर में प्रेम पिया,
मध्यम के बिना सुर सप्तक सजने लगा हैI
जब से चला है तेरे प्रेम का जादू मन माहिया,
मद्यपान बिना मेरा सुध बुध खोने लगा हैI
जब से मिला है तेरा पथ साथ में सोने साथिया,
अब चाँद और धरा की दूरी सिमटने लगा हैI
जब से मन मगन है तेरे धुन में संग सांवरिया,
साज़ सरगम के बिना कदम थिरकने लगा हैI
जब से मिला है तेरे रूह में साँस वन बसिया,
चंपा चमेली खिले बिना सुबास होने लगा हैI
विरहों के अग्नि में लपटी है वर्षों से मेरी काया
दादूर पुकारती सांवरिया सावन की भाषा बोल दो
माघ की शीत वसन में सिमटी है तेरी माया
कोयल कूँ कूँ पुकारती सांवरिया रंग बसंती घोल दो
अंधियारी दिवा में बिलखती है तेरी किशलया
पपीहरा पीयूँ पुकारती सांवरिया अधर पट खोल दो
मधुर मिलन की आस में तरसती है तेरी छाया
भँवरे गुं गुं पुकारती सांवरिया प्रेम गीत मोल दो
तीव्र सप्तक के लय में थिरकती है तेरी सौम्या
घुँघरू झनन पुकारती सांवरिया पंचम रस घोल दो
जन्म तिथि : ०७/ १/ १९७५
जन्म स्थान : बिहार में मिथिला और भोजपुरी की अभिसरण स्थली में बागमती नदी के किनारे
शिक्षा : किरोड़ीमल महाविद्यालय (दिल्ली विश्वविद्यालय) से स्नातकोत्तर (राजनीतिज्ञ विज्ञान)
: केंद्रीय हिंदी संस्थान से परा स्नातकोत्तर डिप्लोमा (जनसंचार और पत्रकारिता)
प्रशिक्षण : भारतीय विदेश व्यापार संस्थान, नई दिल्ली से विदेश व्यापार में उन्मुखीकरण कार्यक्रम
: भारतीय प्रबंधन संस्थान, बेंगलूरू से सार्वजनिक नीति प्रबंधन में उन्मुखीकरण कार्यक्रम
: तुर्की भाषा में उच्चतर डिप्लोमा (अंकारा विश्वविद्यालय, तुर्की )
पेशा : पेशेवर कूटनीतिज्ञ (भारतीय विदेश सेवा)
पदस्थापन : भारतीय कूटनिक मिशन जकार्ता , अंकारा और इस्तांबुल में विभिन्न कार्यों का संपादन
: वर्तमान में प्रथम सचिव (राजर्थिक), भारत का राजदूतावास, खार्तूम, सूडान
भाषिक ज्ञान : संस्कृत, हिंदी और इसकी विभिन्न बोलियाँ, अंग्रेजी, ऊर्दू, तुर्की और अज़री
परिवार : पत्नी (डा० रूचि गुप्ता - दन्त चिकित्सक) पुत्री-शताक्षी सुरुचि और पुत्र: ऋत्विक सुभांश
अभिरुचि : ग़ज़ल, गीत और रंगमंच लेखन, अभिनय, फोटोग्राफी, संगीत सुनना इत्यादिi
हिंदी में लेखन : पिछले पच्चीस वर्षों से, गीत (शताधिक), नाटक (प्रायोजित मिडिया और घूंघट में
पंचायत) रचनाएँ अप्रकाशित
ब्लॉग : क्षितिज की तरफ़ अनवरत सफ़र (http://subhashpgupta.blogspot.com/)
लक्ष्य : वैश़्विक शांति और भारतीय हितों की प्रोन्नति
जब से मैं रंगा हूँ तेरे प्रेम रंग में रंग रसिया,
मेरा तन मन सब इंद्रधनुषी होने लगा हैI
जब से मिला है धरकन तेरे सुर में प्रेम पिया,
मध्यम के बिना सुर सप्तक सजने लगा हैI
जब से चला है तेरे प्रेम का जादू मन माहिया,
मद्यपान बिना मेरा सुध बुध खोने लगा हैI
जब से मिला है तेरा पथ साथ में सोने साथिया,
अब चाँद और धरा की दूरी सिमटने लगा हैI
जब से मन मगन है तेरे धुन में संग सांवरिया,
साज़ सरगम के बिना कदम थिरकने लगा हैI
जब से मिला है तेरे रूह में साँस वन बसिया,
चंपा चमेली खिले बिना सुबास होने लगा हैI
विरहों के अग्नि में लपटी है वर्षों से मेरी काया
दादूर पुकारती सांवरिया सावन की भाषा बोल दो
माघ की शीत वसन में सिमटी है तेरी माया
कोयल कूँ कूँ पुकारती सांवरिया रंग बसंती घोल दो
अंधियारी दिवा में बिलखती है तेरी किशलया
पपीहरा पीयूँ पुकारती सांवरिया अधर पट खोल दो
मधुर मिलन की आस में तरसती है तेरी छाया
भँवरे गुं गुं पुकारती सांवरिया प्रेम गीत मोल दो
तीव्र सप्तक के लय में थिरकती है तेरी सौम्या
घुँघरू झनन पुकारती सांवरिया पंचम रस घोल दो
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नाम : सुभाष प्रसाद गुप्ताजन्म तिथि : ०७/ १/ १९७५
जन्म स्थान : बिहार में मिथिला और भोजपुरी की अभिसरण स्थली में बागमती नदी के किनारे
शिक्षा : किरोड़ीमल महाविद्यालय (दिल्ली विश्वविद्यालय) से स्नातकोत्तर (राजनीतिज्ञ विज्ञान)
: केंद्रीय हिंदी संस्थान से परा स्नातकोत्तर डिप्लोमा (जनसंचार और पत्रकारिता)
प्रशिक्षण : भारतीय विदेश व्यापार संस्थान, नई दिल्ली से विदेश व्यापार में उन्मुखीकरण कार्यक्रम
: भारतीय प्रबंधन संस्थान, बेंगलूरू से सार्वजनिक नीति प्रबंधन में उन्मुखीकरण कार्यक्रम
: तुर्की भाषा में उच्चतर डिप्लोमा (अंकारा विश्वविद्यालय, तुर्की )
पेशा : पेशेवर कूटनीतिज्ञ (भारतीय विदेश सेवा)
पदस्थापन : भारतीय कूटनिक मिशन जकार्ता , अंकारा और इस्तांबुल में विभिन्न कार्यों का संपादन
: वर्तमान में प्रथम सचिव (राजर्थिक), भारत का राजदूतावास, खार्तूम, सूडान
भाषिक ज्ञान : संस्कृत, हिंदी और इसकी विभिन्न बोलियाँ, अंग्रेजी, ऊर्दू, तुर्की और अज़री
परिवार : पत्नी (डा० रूचि गुप्ता - दन्त चिकित्सक) पुत्री-शताक्षी सुरुचि और पुत्र: ऋत्विक सुभांश
अभिरुचि : ग़ज़ल, गीत और रंगमंच लेखन, अभिनय, फोटोग्राफी, संगीत सुनना इत्यादिi
हिंदी में लेखन : पिछले पच्चीस वर्षों से, गीत (शताधिक), नाटक (प्रायोजित मिडिया और घूंघट में
पंचायत) रचनाएँ अप्रकाशित
ब्लॉग : क्षितिज की तरफ़ अनवरत सफ़र (http://subhashpgupta.blogspot.com/)
लक्ष्य : वैश़्विक शांति और भारतीय हितों की प्रोन्नति
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