'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर आज प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटती अनामिका (सुनीता) जी की ग़ज़ल। आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा...
तेरे प्यार की चाहत में ये दिये जलाया करती हूँ.
खामोश सितारों में ये तन्हा चाँद निहारा करती हूँ.
आकाश में ज्यूँ बदली लुका-छिपी सी करती हो
नर्म बाहों के ख़यालों में यूँ ही सिमटा करती हूँ.
तमन्नाओ के पंख लगा हवा से बातें करती हूँ.
हिज्र की रातो में बस तुझको ही ढूंढा करती हूँ.
लब चूम तब मेरी आँखों में तुम भी झाँका करते हो ..
सवालिया नज़रों से मैं भी ये चाहत जाना करती हूँ.
बिखर जाती हूँ मैं तब बेताब हो तेरी बाहों में..
ये शब् न ढले, रब से यूँ दुआएं माँगा करती हूँ.
उदास हो यूँ तेरी यादों के दिये जलाया करती हूँ.
खामोश सितारों में ये तन्हा चाँद निहारा करती हूँ.
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नाम : अनामिका (सुनीता)
जन्म : 5 जनवरी, 1969
निवास : फरीदाबाद (हरियाणा)
शिक्षा : बी.ए , बी.एड.
व्यवसाय : नौकरी
शौक : कुछः टूटा-फूटा लिख लेना, पुराने गाने सुनना।
मेरे पास अपना कुछ नहीं है, जो कुछ है मन में उठी सच्ची भावनाओं का चित्र है और सच्ची भावनाएं चाहे वो दुःख की हों या सुख की....मेरे भीतर चलती हैं.. ...... महसूस होती हैं ...और मेरी कलम में उतर आती हैं.
ब्लोग्स : अनामिका की सदायें और अभिव्यक्तियाँ
19 टिप्पणियां:
khamosh sitaro me "tanha chaand".........bada pyara visheshan diya apne......ek shandar post!!
अनामिका जी की प्रेम पगा रचना पढ़वाने के लिए आभार!
बेहद प्यारी रचना।
तेरे प्यार की चाहत में ये दिये जलाया करती हूँ.
खामोश सितारों में ये तन्हा चाँद निहारा करती हूँ.
प्रेम भाव से ओत प्रोत सुन्दर रचना ...
anamikaji badhai sundar ghazal
बिखर जाती हूँ मैं तब बेताब हो तेरी बाहों में..
ये शब् न ढले, रब से यूँ दुआएं माँगा करती हूँ ..
प्रेम में अक्सर ऐसी चाहत होती है ... बहुत सुंदर लिखा है .....
बहुत सुन्दर कविता...
उदास हो यूँ तेरी यादों के दिये जलाया करती हूँ.
खामोश सितारों में ये तन्हा चाँद निहारा करती हूँ.
इस रचना ने दिल को छुआ!
हृदय फलक पर गहरी छाप छोड़ गई।
गीली मिट्टी पर पैरों के निशान!!, “मनोज” पर, ... देखिए ...ना!
तमन्नाओ के पंख लगा हवा से बातें करती हूँ.
हिज्र की रातो में बस तुझको ही ढूंढा करती हूँ.
-बहुत प्यारी रचना.
तमन्नाओ के पंख लगा हवा से बातें करती हूँ.
हिज्र की रातो में बस तुझको ही ढूंढा करती हूँ.
-बहुत प्यारी रचना.
तेरे प्यार की चाहत में ये दिये जलाया करती हूँ.
खामोश सितारों में ये तन्हा चाँद निहारा करती हूँ.
अगर ये कहूँ कि उम्मीद है,आशाएं है,चाहत है इस बार निराशा नही है,बेबसी,लाचारगी नही है तो..मानोगी?
यही बात अच्छी लगी.मुझे निराशा,हताशा के गीत और उन्हें लिखने,गाने वाले ...?????
प्रेम में निराशा,दुःख ठीक है किन्तु मिलन की आस न हो वो कैसा प्यार. इस बार तुम से वो शिकायत भी नही. अच्छी रचना है.जियो.
श्रृंगार रस में डूबी प्यार की कोमलतम अनुभूतियों को समेटे एक बहुत प्यारी रचना ! बहुत बहुत बधाई !
क्या बात है अनामिका आज तो मौसम का असर दिख रहा है बखूबी उकेरा है प्यार अपने शब्दों और भावनाओं से
mere paas kuchh nahin hai kahane ko sivaay iske ki vaah...lazawaab...kya baat.....!!
anamika ji bahoot hi sunder gazal.....
http://charchamanch.blogspot.com/2010/09/270.html
is post ko yahan bhi dekhen ..
आप सब सुधि पाठकों का आभार जो आप सब की सराहना से मुझे प्रोत्साहन मिला.
अनुगृहीत हूँ.
तेरे प्यार की चाहत में ये दिये जलाया करती हूँ.
खामोश सितारों में ये तन्हा चाँद निहारा करती हूँ.
प्रेम की सुन्दर अभिव्यक्ति। अनामिका जी को बधाई।
कैसी अजब ये सितारों की बारात है
नसीब में जिसके बस रात ही रात है
कौन किस में समाता है देखना दिलचस्प होगा
"सेहरा" से एक रोज होनी "सागर" की मुलाक़ात है "
सुनीता साहिबा
आपकी रातरानी सी महकती ग़ज़ल ने समां खुशनुमा बना दीया है..हर लफ्ज़ भीने भीने जज्बातों का आइना है और हर आइना किसी चेहरे को तलाश रहा है .नाचीज़ की दाद क़ुबूल फरमाइए
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