'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर आज प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटती अनामिका (सुनीता) जी की कविता. आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा...
अपनी बाहों के घेरे में, थोडा करीब आने तो दो.
सीने से लगा लो मुझे, थोडा करार पाने तो दो.
छुपा लो दामन में, छांव आंचल की तो दो .
सुलगते मेरे एह्सासो को, हमदर्दी की ठंडक तो दो.
दिवार-ए-दिल से चिपके दर्द को आंसुओं में ढलने तो दो .
शब्दों को जुबा बनने के लिए, जमी परतों को जरा पिघलने तो दो.
पलकों के साये में ले लो मुझे, स्पर्श में विलीन होने तो दो.
मासूम सी बन जाऊ मैं, अपनी गोद में गम भुलाने तो दो.
जिंदगी की तेज धूप से क्लांत हारा पथिक हू मैं ,
प्रेम सुधा बरसा के जरा, कराह्ती वेदनाओ को क्षीण होने तो दो !!
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29 टिप्पणियां:
अनामिका जी
....बेहतरीन भावों से सजी है आपकी यह पोस्ट
अपनी बाहों के घेरे में, थोडा करीब आने तो दो.
सीने से लगा लो मुझे, थोडा करार पाने तो दो.
.........लाजवाब पंक्तियाँ ! मज़ा आ गया !
बहुत सुन्दर कोमल भाव!
जिंदगी की तेज धूप से क्लांत हारा पथिक हू मैं ,
प्रेम सुधा बरसा के जरा, कराह्ती वेदनाओ को क्षीण होने तो दो !!
वेदनाएँ प्रेम सुधा की ही तो मुंतजर होती हैं
सुन्दर
पलकों के साये में ले लो मुझे, स्पर्श में विलीन होने तो दो.
मासूम सी बन जाऊ मैं, अपनी गोद में गम भुलाने तो दो.
...सुबह-सुबह यह मासूम अनुभूति पढ़कर मन प्रसन्न हो गया...बहुत खूबसूरत भाव..बधाई.
वाह वाह ……………बहुत ही भीने भीने अहसास भर दिये हैं।
दिवार-ए-दिल से चिपके दर्द को आंसुओं में ढलने तो दो .
शब्दों को जुबा बनने के लिए, जमी परतों को जरा पिघलने तो दो.
bahte ehsaason ko kuch kahne do
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 12 -10 - 2010 मंगलवार को ली गयी है ...
कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया
http://charchamanch.blogspot.com/
वाह वाह बहुत सुन्दर ..लाजवाब है यह .बेहतरीन
प्रेम की खूबसूरत अनुभूति को समेटती सुन्दर कविता....बधाई.
@ संगीता जी,
सप्तरंगी प्रेम पर प्रकाशित कविता की चर्चा के लिए आभार.
प्यास लगती है चलो रेत निचोड़ी जाए।
अपने हिस्से में समन्दर नहीं आने वाला।
बस! इतनी अच्छी ग़ज़ल पे और कुछ नहीं। बहुत अच्छी प्रस्तुति।
या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
नवरात्र के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
दुर्नामी लहरें, को याद करते हैं वर्ल्ड डिजास्टर रिडक्शन डे पर , मनोज कुमार, “मनोज” पर!
पलकों के साये में ले लो मुझे, स्पर्श में विलीन होने तो दो.
मासूम सी बन जाऊ मैं, अपनी गोद में गम भुलाने तो दो.
बहुत ही सुन्दर शब्दों के साथ बेहतरीन पंक्तियां ।
प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटती अनामिका (सुनीता) जी की कविता बहुत ही हृदयस्पर्शी है!
सुन्दर भाव ..बहुत अच्छी रचना.
सार्थक लेखन के लिये आभार एवं “उम्र कैदी” की ओर से शुभकामनाएँ।
जीवन तो इंसान ही नहीं, बल्कि सभी जीव भी जीते हैं, लेकिन इस मसाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, मनमानी और भेदभावपूर्ण व्यवस्था के चलते कुछ लोगों के लिये यह मानव जीवन अभिशाप बन जाता है। आज मैं यह सब झेल रहा हूँ। जब तक मुझ जैसे समस्याग्रस्त लोगों को समाज के लोग अपने हाल पर छोडकर आगे बढते जायेंगे, हालात लगातार बिगडते ही जायेंगे। बल्कि हालात बिगडते जाने का यही बडा कारण है। भगवान ना करे, लेकिन कल को आप या आपका कोई भी इस षडयन्त्र का शिकार हो सकता है!
अत: यदि आपके पास केवल दो मिनट का समय हो तो कृपया मुझ उम्र-कैदी का निम्न ब्लॉग पढने का कष्ट करें हो सकता है कि आप के अनुभवों से मुझे कोई मार्ग या दिशा मिल जाये या मेरा जीवन संघर्ष आपके या अन्य किसी के काम आ जाये।
http://umraquaidi.blogspot.com/
आपका शुभचिन्तक
“उम्र कैदी”
एक उम्दा रचना पढाने के लिये शुक्रिया………………।बेहतरीन तरीके से लिखी गयी है
हम किसी भी उम्र को पार कर आयें ...
मासूम सी बन जाऊं , अपनी गोद में गम भुलाने तो दो ..
ये मासूम अनुभूतियाँ बनी ही रहती है ...!
सुन्दर कविता ...!
दिवार-ए-दिल से चिपके दर्द को आंसुओं में ढलने तो दो .
शब्दों को जुबा बनने के लिए, जमी परतों को जरा पिघलने तो दो...
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल अनामिका जी ....
अनामिका जी की बड़ी सुंदर रचना साझा की आपने.... बहुत अच्छा लिखती हैं .....आकांक्षा जी आपका आभार और अनामिका जी को धन्यवाद
Bahut hi pyari kavita. Man ko gaharai tak andolit kar gayi . Bahut hi bhavpoorn abhivyakti 1 Congrats.
पलकों के साये में ले लो मुझे, स्पर्श में विलीन होने तो दो.
मासूम सी बन जाऊ मैं, अपनी गोद में गम भुलाने तो दो.
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ है, बहुत प्यारे भाव है।
पलकों के साये में ले लो मुझे, स्पर्श में विलीन होने तो दो.
मासूम सी बन जाऊ मैं, अपनी गोद में गम भुलाने तो दो.
भावुक अनुभूतियों से पूर्ण लाज़वाब प्रस्तुति....आभार...
bhaav bahut hee badhiyaan hain di ....thoda sa dhyan craft kee taraf dijiye ...maza aa jayega
पलकों के साये में ले लो मुझे, स्पर्श में विलीन होने तो दो.
मासूम सी बन जाऊ मैं, अपनी गोद में गम भुलाने तो दो...
beautiful lines.
.
पलकों के साये में ले लो मुझे, स्पर्श में विलीन होने तो दो.
मासूम सी बन जाऊ मैं, अपनी गोद में गम भुलाने तो दो.
अनामिका जी की बहुत ही प्यारी सी प्रस्तुति पढ़वाने के लिए आभार
:)
खूबसूरत...उम्दा !!
प्रेम की अुनभूतियों को साकार करती आपकी ये रचना ।
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