'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर आज प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटती रश्मि प्रभा जी की एक कविता 'कायनात का जादू बाकी है'. आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा...
इनदिनों
शब्द मुझसे खेल रहे हैं
मैं पन्नों पर उकेरती हूँ
वे उड़ जाते हैं
तुम्हारे पास
ध्यानावस्थित तुम्हारी आँखों को छूकर
कहते हैं
- आँखें खोलो
हमें पढ़ो ....
मैं दौड़ दौडकर थक गई हूँ
समझाया है
-तंग नहीं करते
पर ये शब्द !
जो कल तक समझदारी की बातें करते थे
आज ख्वाब देखने लगे हैं
एक तलाश थी बड़ी शिद्दत से
रांझे की
इनदिनों मेरे शब्द
हीर के ख्वाब संजोने लगे हैं
रांझे को जगाने लगे हैं
अनकहे जज्बातों को सुनाने लगे हैं
जब भी हाथ बढा पिटारी में रखना चाहती हूँ
ये यादों की मीठी गलियों में छुप जाते हैं
कहते हैं हंसकर
" कायनात का जादू
अभी बाकी है हीर "
*************************************************************************************
(रश्मि प्रभा जी के जीवन-परिचय के लिए क्लिक करें)
20 टिप्पणियां:
शब्द उनसे और वे शब्द से ऐसे बाते करती हैं ...और कायनात के इस जादू से हम मुग्ध रहते हैं ...
रश्मि प्रभाजी की हर रचना अनुभूतियों के इतने करीब होती है कि बहुत अपनी सी लगती हैं ..बिलकुल उनके जैसी ही गरिमामय ...!!
रश्मी दी की अन्य खूबसूरत नज्मों की श्रृंखला में एक और!
bahot badhiya....
behad khoobsurat!
Rashmi di ke shabd hi to inke dharohar hain...........inki kavita me shabd bolte hain aur nimantrit karte hain.........:)
hai na di!!
ye pankti dekhiye, kaise bula rahi hai.......:)
हमें पढ़ो ....
मैं दौड़ दौडकर थक गई हूँ
समझाया है
-तंग नहीं करते
पर ये शब्द !
" कायनात का जादू
अभी बाकी है हीर "
बहुत मनभावन कविता ...सच आपके शब्दों में जादू है...कितने सहज रूप से लिखा है कि समझाया है , तंग नहीं करते...और शब्दों का ख्वाब देखना...सुन्दर ..
waah...
Itna pyaar khwab,
Anek ankahe jazbaat... ILu...!
har baar utni hi khubsurat lagti hai apki rachna :)
गज़ब ……गज़ब्………गज़ब्…………………अब इससे आगे क्या कहूँ।
जब भी हाथ बढा पिटारी में रखना चाहती हूँ
ये यादों की मीठी गलियों में छुप जाते हैं
कहते हैं हंसकर
" कायनात का जादू
अभी बाकी है हीर "ापके शब्दों का जादू खूब चल रहा है। बधाई
एक प्यार भरी आत्मीय प्रस्तुति रश्मि जी की ..बहुत सुन्दर.
शब्दों का तिलस्म ही ऐसा होता है,तभी तो ....
"जो कल तक समझदारी की बातें करते थे
आज ख्वाब देखने लगे हैं"
शब्दों का ख्वाब देखना बेहद पसंद आया..
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ....
Rashmi jee aapke shabdo ke kaayal hain hum...
हमें पढ़ो ....
मैं दौड़ दौडकर थक गई हूँ
समझाया है
-तंग नहीं करते
पर ये शब्द !
जो कल तक समझदारी की बातें करते थे
आज ख्वाब देखने लगे हैं.........behadd umdaa.
" कायनात का जादू
अभी बाकी है हीर "
rashmi di waah kya baat hai,..........puri hi puri anurag ghol di hai aapne is preet se bhari rachna me .........
rashmi ji,
aapki nazmon mein zindgi ki ankahi jhalak dikhti hai...
कहते हैं हंसकर
" कायनात का जादू
अभी बाकी है हीर "
bahut sundar, badhai sweekaren.
" कायनात का जादू
अभी बाकी है हीर "
....खूबसूरत रचना..बधाई.
बेहतरीन लिखा ..बधाई.
रश्मि जी की रचना पढ़कर आनन्द आ गया, आभार पढ़वाने का.
ये यादों की मीठी गलियों में छुप जाते हैं
कहते हैं हंसकर
" कायनात का जादू
अभी बाकी है हीर "
..Its so Romantic..Thanks.
bahut sundar kavitaon ka chayan kiya hai aapne... rashmi didi ji ki har rachan anubhutiyon se bharo aur apnee se jaan padti hai... aabhar
एक टिप्पणी भेजें