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गुरुवार, 22 जुलाई 2010

ढलती शाम

'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर आज प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटती सुमन 'मीत' जी की एक कविता 'ढलती शाम'. आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा...

अकसर देखा करती हूँ
शाम ढलते-2
पंछियों का झुंड
सिमट आता है
एक नपे तुले क्षितिज में
उड़ते हैं जो
दिनभर
खुले आसमां में
अपनी अलबेली उड़ान
पर....
शाम की इस बेला में
साथी का सानिध्य
पंखों की चंचलता
उनकी स्वर लहरी
प्रतीत होती
एक पर्व सी
उनके चुहलपन से बनती
कुछ आकृतियां
और
दिखने लगता
मनभावन चलचित्र
फिर शनै: शनै:
ढल जाता
शाम का यौवन
उभर आते हैं
खाली गगन में
कुछ काले डोरे
छिप जाते पंछी
रात के आगोश में
उनकी मद्धम सी ध्वनि
कर्ण को स्पर्श करती
निकल जाती है
दूर कहीं...!!
*******************************************************************************

सुमन 'मीत'/मण्डी, हिमाचल प्रदेश/ मेरे बारे में-पूछी है मुझसे मेरी पहचान; भावों से घिरी हूँ इक इंसान; चलोगे कुछ कदम तुम मेरे साथ; वादा है मेरा न छोडूगी हाथ; जुड़ते कुछ शब्द बनते कविता व गीत; इस शब्दपथ पर मैं हूँ तुम्हारी “मीत”!अंतर्जाल पर बावरा मन के माध्यम से सक्रियता.

11 टिप्‍पणियां:

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

उनके चुहलपन से बनती
कुछ आकृतियां
और
दिखने लगता
मनभावन चलचित्र
फिर शनै: शनै:
ढल जाता
शाम का यौवन
उभर आते हैं
खाली गगन में
कुछ काले डोरे

सुंदर अभिव्यक्ति..शुभकामनाएँ!!!

Asha Joglekar ने कहा…

शाम की इस बेला में
साथी का सानिध्य
पंखों की चंचलता
उनकी स्वर लहरी
प्रतीत होती
एक पर्व सी
Panchiyon ke is roj ki dincharya ka kitana sunder warnan.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है!

shikha varshney ने कहा…

वाह....जैसे शहद सा घोल गई कानो में ये कविता ..बहुत मीठी.

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

Beautiful Expressions...Congts.

अर्चना तिवारी ने कहा…

...शाम की इस बेला में
साथी का सानिध्य
पंखों की चंचलता
उनकी स्वर लहरी
प्रतीत होती
एक पर्व सी...बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

ये तो बहुत अच्छा लिखा है....

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

मेरी रचना आप सभी को पसन्द आई इसके लिये धन्यवाद

वाणी गीत ने कहा…

शाम का यूँ ढलना और उसे देखना, निहारना, महसूस करना आपकी कविता में भी अच्छा लगा ...!

KK Yadav ने कहा…

दिखने लगता
मनभावन चलचित्र
फिर शनै: शनै:
ढल जाता
शाम का यौवन
....बेहतरीन रचना...सुन्दर भाव... बधाई.

Akanksha Yadav ने कहा…

सुमन मीत जी ने काफी सुन्दर रचा...बधाई.