मेरे मेहरबां
मुड़ के देख ज़रा
कैसी बेज़ारी से गुजरता है
मेरा हर लम्हा
तेरे बगैर.....
तुम थे – 2
तो रोशन था
मेरे ज़र्रे-ज़र्रे में
सकूं का दिया
अब तू नहीं तो – 2
जलता है मेरा
हर कतरा
गम के दिये में
तेरे बगैर......
तुम थे – 2
तो महकती थी
तेरी खुशबू से
मेरी फुलवारी
अब तू नहीं तो – 2
सिमट गई है मेरी
हर डाली
यादों की परछाई में
तेरे बगैर.......
तुम थे तो मैं था – 2
मेरे होने का था
कुछ सबब
सींच कर अपने प्यार से
बनाया था ये महल
अब तू नहीं तो – 2
टूट कर बिखर गया हूँ
इक मकां सा बन गया हूँ
तेरे बगैर
तेरे बगैर.....
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सुमन 'मीत'
12 टिप्पणियां:
bhavpoorna rachana
खूबसूरत भावों से सजी सुन्दर रचना ..
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (23/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
तेरे बगैर , कितना कुछ बदला बदला लगता है ना . भाव प्रवण कविता .
समर्पण भाव से भरी खूबसूरत रचना...
आकांक्षा जी ...मेरी रचना प्रकाशित करने के लिये शुक्रिया ।
विरह का मार्मिक चित्र शब्दों में खींच दिया आपने...
अत्यंत प्रभावशाली रचना...
बहुत बहुत सुन्दर....वाह !!!
भावपूर्ण अभिव्यक्ति!
भावुक कर देने वाली प्रभावशाली प्रस्तुति ।
सुमन जी ने इस कविता मे जज्बातों को उड़ेलकर सुंदर मार्मिक चित्र खीचा है विरह प्रेम का .....बहुत ही सुंदर प्रस्तुति...
बहुत सुन्दर कविता..बधाई.
bahut sahi kha suman tumne.......... kisi ke bagair ye zindagi aise hi ho jati hai......... :((
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