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सोमवार, 25 अक्तूबर 2010

तुम्हें बदलना होगा !

'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर आज रिश्तों में दुनिया की निगाहों के प्रति सचेत करती सुमन 'मीत' जी की एक कविता 'तुम्हें बदलना होगा'. आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा...

जीवन की राहें

बहुत हैं पथरीली

तुम्हें गिर कर

फिर संभलना होगा ।


भ्रम की बाहें

बहुत हैं हठीली

छोड़ बन्धनों को

कुछ कर गुजरना होगा ।


दुनिया की निगाहें

बहुत हैं नोकीली

तुम्हें बचकर

आगे बढ़ना होगा ।


रिश्तों की हवाएँ

बहुत हैं जकड़ीली

छोड़ तृष्णा को

मुक्त हो जाना होगा ।


ऐ ‘मन’

तुम्हें बदलना होगा

बदलना होगा

बदलना होगा !!
******************************************************************************
(सप्तरंगी प्रेम पर सुमन 'मीत' की अन्य रचनाओं के लिए क्लिक करें)

12 टिप्‍पणियां:

निर्मला कपिला ने कहा…

रिश्तों की हवाएँ

बहुत हैं जकड़ीली

छोड़ तृष्णा को

मुक्त हो जाना होगा ।
बहुत सुन्दर जीनी का राह दिखाती कविता। सुमन जी को बधाई। आपका धन्यवाद।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सुन्दर रचना!
--
मंगलवार के साप्ताहिक काव्य मंच पर इसकी चर्चा लगा दी है!
http://charchamanch.blogspot.com/

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

sundar rachna badhai suman ji

Asha Lata Saxena ने कहा…

सुमन मीत जी की यह कविता अच्छी और भाव पूर्ण लगी|बधाई
आशा

अनुपमा पाठक ने कहा…

bahut sundar!

sanu shukla ने कहा…

उम्दा रचना

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

इस रचना को पसन्द करने के लिये बहुत बहुत शुक्रिया...

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

KK Yadav ने कहा…

ऐ ‘मन’

तुम्हें बदलना होगा

बदलना होगा

बदलना होगा !!
...खूबसूरत अभिव्यक्ति..बधाई !!

KK Yadav ने कहा…

@ मयंक जी,

चर्चा के लिए आभार !!

Unknown ने कहा…

दुनिया की निगाहें

बहुत हैं नोकीली

तुम्हें बचकर

आगे बढ़ना होगा ।

...अच्छा चेताया जी...खूबसूरत गीत..बधाई.

suhai-bilasa ने कहा…

"ye man tuhe badalna hoga." achhi racana hai, badhai aapko. dr somnath yadav bilaspur c.g.